2. नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी)
3. दीपावली या लक्ष्मी पूजा (कार्तिक अमावस्या)
शास्त्रों में इन पांच दिनों को यम पंचक कहा गया है क्योंकि इस अवधि में यमराज (मृत्यु के देवता), वैद्यराज धन्वंतरि, लक्ष्मी-गणेश और अन्य देवी-देवताओं की पूजा का विशेष विधान है। इस दौरान यमराज की पूजा और दीपदान करने की परंपरा है, जिससे अकाल मृत्यु के भय और नरक से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा यह इन पांच दिनों को यम पंचक इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अवधि यम-नचिकेता संवाद के गहन ज्ञान को याद करने का भी समय है। कथाओं में यम और बालक नचिकेता के बीच हुआ संवाद जीवन, मृत्यु और आत्मा के रहस्य से संबंधित है।
कभी-कभी लोग 'यम पंचक' को ज्योतिषीय 'पंचक' (पाँच अशुभ नक्षत्रों का समूह - धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती) से भ्रमित कर देते हैं, लेकिन दीपावली के त्योहार से जुड़े पांच दिनों को ही 'यम पंचक' कहा जाता है।