यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिले, जो सिर्फ पहेलियों में ही बातें करता हो, तानाकशी में विश्वास करता हो, हड़बड़ाया-सा लगता हो, तथ्य छुपाने की वृत्ति हो तो तय कर लें कि उस व्यक्ति की कुंडली में कहीं न कहीं चंद्र-राहु युति मौजूद है।
चंद्र-राहु युति ग्रहण योग भी कहलाती है। राहु की गूढ़ता चंद्र की कोमलता को प्रभावित करती है और व्यक्ति शंकालु, हीन मानसिकता वाला और गूढ़ बनता जाता है।
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यह युति मानसिक तनाव को बढ़ाती है। परिस्थिति में ढलने की क्षमता कम करती है। ये व्यक्ति जल्दी डिप्रेशन, मानसिक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। हिस्टीरिया, मिर्गी जैसे रोग भी देखे गए हैं। यह युति ऊपरी बाधा, गुप्त शत्रु, पानी से खतरा दिखाती है। वैवाहिक जीवन में भी तनाव निर्माण करती है।
अन्य योग प्रबल हो तो चंद्र-राहु की गूढ़ता व्यक्ति को रहस्यकथाओं का लेखक, जादूगर आदि भी बना सकती है।
चंद्र-राहु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए चंद्र को प्रबल बनाना चाहिए। चाँदी का उपयोग, माता की सेवा, शिव आराधना और सोमवार को सफेद वस्तु का दान करना योग्य फल दे सकता है।