शुक्र के समान मंगल पीड़ित होने से भी वैवाहिक जीवन का सुख नष्ट होता है।
कुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8 और खाना संख्या 1, 4, 7, 8 और खाना संख्या 12 में उपस्थित हो तो मंगली दोष बनाता है। इस दोष के कारण पति-पत्नी में सामंजस्य की कमी रहती है। एक-दूसरे से वैमनस्य रहता है। जीवनसाथी का स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
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लाल किताब कहती है कि अगर कुंडली में मंगल दोषपूर्ण हो तो विवाह के समय घर में भूमि खोदकर उसमें तंदूर या भट्टी नहीं लगानी चाहिए। इस स्थिति में व्यक्ति को मिट्टी का खाली पात्र चलते पानी में प्रवाहित करना चाहिए।
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अगर आठवें खाने में मंगल पीड़ित है तो किसी विधवा स्त्री से आशीर्वाद लेना चाहिए।
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कन्या की कुंडली में अष्टम भाव में मंगल है तो रोटी बनाते समय तवे पर ठंडे पानी के छींटे डालकर रोटी बनानी चाहिए।