शनि व चंद्र यदि साथ में हो या आमने-सामने हो तो यह युति सहसा कष्टकारी मानी जाती है। चंद्रमा पर शनि का प्रभाव मानसिक शक्ति को क्षीण करता है, मानसिक तनाव व मानसिक रोगों की स्थिति को निर्मित करता है। व्यक्ति की इच्छाशक्ति व आत्मविश्वास कम होता जाता है, अत्यंत भावुकता के चलते व्यक्ति लक्ष्य की प्रवृत्ति भी कम होती है। अत: भाग्योदय देर से होता है। विशेषत: साढ़ेसाती के समय बेहद प्रतिकूल फल मिलते हैं।
यदि यह युति वृषभ, तुला, मकर या कुंभ में हो तो यह शुभ होती है। ये व्यक्ति मानसिक शक्ति से भरपूर होते हैं, पारलौकिक संकेतों को समझने की क्षमता होती है, छठी इंद्रिय भी जागृत हो सकती है।
ज्योतिष या रिसर्च मनोविज्ञान में अध्ययन कर सकते हैं। इनके जीवन का उत्तरार्द्ध सुखद होता है।
यदि कुंडली में शनि-चंद्र की युति कष्टकारी है तो शनि का दान पूजन नियमित रूप से करें व चंद्रमा को भी बलवान बनाने के उपाय करें। साथ ही अच्छा साहित्य पढ़ें, अच्छे मित्रों की संगति करें। माँसाहार-मद्यपान से दूर रहें।