सूर्य ग्रह को जानें

यह एक विशालकाय तारा है, जिसके चारों ओर आठों ग्रह और अनेक उल्काएँ चक्कर लगाती रहती हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि यह जलता हुआ विशाल पिंड है। इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के बल पर ही समस्त ग्रह इसकी तरफ खिंचे रहते हैं अन्यथा सभी अंधकार में न जाने कहाँ लीन हो जाएँ। फिर भी यह ब्रह्मांड की अपेक्षा एक छोटा तारा है। वेदों के अनुसार सूर्य जगत की आत्मा है, यही सूर्य नहीं अनेक सूर्य भी।

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विज्ञान अनुसार : वैज्ञानिक कहते हैं कि इसका तापमान बाहरी स्तर पर 6000 डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर डेढ़ करोड़ डिग्री तक रहता है। इसका आकार, उम्र और तापमान अन्य तारों के लगभग मध्यमान के अनुपात में है। इसकी संरचना अधिकतर हाइड्रोजन एवं हीलियम नामक तत्वों से हुई है। सूर्य का व्यास 1372400 है। धरती से इसकी औसत दूरी 149000000 किलोमीटर मानी गई है। ये अपनी धुरी पर 30 दिनों मे घूम जाता है। इस पर पृथ्वी जितने 13 लाख गोले रखे जा सकते हैं। अनुमान है कि अभी यह गोला तीस अरब वर्ष तक जलते रहने की क्षमता रखता है।

पुराण अनुसार : भूलोक तथा द्युलोक के मध्य में अन्तरिक्ष लोक है। इस द्युलोक में सूर्य भगवान नक्षत्र तारों के मध्य में विराजमान रहकर तीनों लोकों को प्रकाशित करते हैं। पुराणों अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है। इनकी पत्नी का नाम संज्ञा है जो विश्वकर्मा की पुत्री हैं। संज्ञा से यम नामक पुत्र और यमुना नामक पुत्री तथा इनकी दूसरी पत्नी छाया से इनको एक महान प्रतापी पुत्र हुए जिनका नाम शनि है।

अशुभ : सूर्य के अशुभ होने पर शरीर में अकड़न आ जाती है। मुँह में थूक बना रहता है। यदि घर पर या घर के आसपास लाल गाय या भूरी भैंस है तो वह खो जाती है या मर जाती है। यदि सूर्य और शनि एक ही भाव में हों तो घर की स्त्री को कष्ट होता है। यदि सूर्य और मंगल साथ हों और चंद्र और केतु भी साथ हों तो पुत्र, मामा और पिता को कष्ट। सूर्य के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति अपना पद भी खो बैठता है।

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शुभ : कांतिमय चेहरे और आँखों वाला व्यक्ति महान राजनीतिज्ञ भी हो सकता है या सरकारी महकमे का कोई बड़ा अधिकारी। सोच-समझकर हित अनुसार गुस्सा करने वाला व्यक्ति न्यायप्रिय होता है। सूर्य नवम् और दशम भाव में सर्वश्रेष्ठ।

उपाय : भगवान विष्णु की उपासना। सूर्य को अर्घ्य देना। रविवार का व्रत रखना। मुँह में मीठा डालकर ऊपर से पानी पीकर ही घर से निकलें। पिता का सम्मान करें।

मकान : जिनका मकान पूर्व में है। पानी का स्थान मकान के गेट में दाखिल होते ही दाएँ हाथ पर। बड़ा-सा दरवाजा प्रकाश का रास्ता।

देवता
विष्णु
गोत्र
कश्यप
दिशा
पूर्व
सारथी
अरुण
वार
रविवार
स्वभाव
उग्र
वृक्ष
तेजफल का वृक्ष
विशेषता
बहादुर राजा
शक्ति
आग का भंडार
वर्ण-जाति
लाल, क्षत्रिय
वाहन
सात घोड़ों वाला स्वर्ण रथ
गुण
आग, गुस्सा, विवेक,विद्या
अंग
दिमाग समेत शरीर का दायाँ भाग
राशि भ्रमण
प्रत्येक राशि में 30 दिन।
नक्षत्र
कृतिका, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा
बल
सूर्य के साथ यदि शनि हो तो और शक्तिशाली
भाव
पाँचवाँ
बल
सूर्य के साथ यदि शनि हो तो और शक्तिशाली
राशि
सिंह राशि के स्वामी सूर्य के चंद्र, गुरु और मंगल मित्र हैं। शुक्र, राहु और शनि इसके शस्त्रु हैं। बुध और केतु मध्यम। मेष में उच्च और तुला में नीच के माने गए हैं। सूर्य बलवान होता है तो सभी तरह के अनिष्टों को नष्ट कर देता है।
अन्य नाम
रवि, दिनकर, दिवाकर, भानु, भास्कर, प्रभाकर, सविता, दिनमणि, आदित्य, अनंत, मार्तंड, अर्क, पतंग और विवस्वान।