* जन्मांक में राहु सूर्य, चंद्र को ग्रसित कर रहा हो अथवा व्यय भाव अष्टम भाव, द्वितीय भाव, पंचम भाव, नवम भाव अथवा चतुर्थ भाव में उपस्थित होकर कष्ट दे रहा हो तब प्रत्येक अमावस्या के दिन किसी पवित्र ज्योर्तिलिंग में भगवान शिव का अभिषेक, व्रत व पूजन करना चाहिए।
* भगवान हनुमानजी का प्रताप चारों युग में व्याप्त है, वे स्वयं रुद्रावतार हैं, अतः राहु के कष्टों में हनुमानजी का स्मरण व सेवा पूजा अनंतकोटि फलदायक है।
सुंदरकांड का पाठ मंगलवार का व्रत (बगैर नमक) तथा राम रक्षास्त्रोत का प्रतिदिन पाठ करने से राहु, केतु, शनि ग्रह का मानव पर वश नहीं चलता। अतः उपरोक्त उपाय का श्रद्धापूर्वक पालन करना चाहिए।