2 . इनकी बुद्धि बड़ी गम्भीर थी इसलिए ब्रह्माजी ने इनका नाम बुध रखा।
3 . ये सभी शास्त्रों में पारंगत तथा अपने पिता चन्द्रमा की तरह कांतिमान हैं।
4 . इन्हें सब तरह से योग्य पा कर ब्रह्माजी ने इन्हें भूतल का स्वामी तथा ग्रह बना दिया था।
5 . इनका वर्ण कनेर के फूल की तरह हरा मिश्रित पीला है तथा ये पीताभ हरे रंग के ही वस्त्र धारण करते हैं।
6 . इन्होंने अपने चारों हाथों में तलवार, ढाल, गदा तथा वरमुद्रा धारण की हुई है।
7 . इनका रथ श्वेत और प्रकाश से दीप्त है, जिसमें वायु के समान गति वाले दस घोड़े जुते हुए हैं।
8 . इनका एक वाहन सिंह भी है। इनकी विद्या-बुद्धि से प्रभावित होकर महाराज मनु ने अपनी गुणवती कन्या इला का विवाह इनके साथ कर दिया। इनके संयोग से महाराज पुरूरवा की उत्पत्ति हुई। जिन्होंने चंद्र वंश का विस्तार किया।
9 . बुध ग्रह के अधिदेवता भगवान विष्णु हैं। बुध, मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं। इनकी महादशा 17 वर्ष की होती है। इनकी शांति के लिए प्रत्येक अमावस्या को व्रत रखना शुभ होता है। वैसे ये प्राय: मंगल ही करते हैं।
10. इनका सामान्य मंत्र :- ॐ बुं बुधाय नम: है। जिसका जाप एक निश्चत संख्या में रोज करने से शुभ फल प्राप्त होता है।