जप संख्या- 11,000 (11 हजार)।
(कलियुग में 4 गुना जाप एवं दशांश हवन का विधान है।)
दान सामग्री- श्वेत वस्त्र, चावल, सफेद पुष्प, शकर, कर्पूर, मोती, चांदी, शंख, घृतपूर्ण, कुंभ, मिश्री, दूध-दही, स्फटिक आदि।
दान का समय- संध्या।
हवन हेतु समिधा- पलाश।
औषधि स्नान- पंचगव्य, खिरनी की जड़, श्वेत चंदन, श्वेत पुष्प मिश्रित जल से।
अशुभ प्रभाव कम करने हेतु अन्य उपयोगी उपाय।
* रविवार को कच्चा दूध अपने सिरहाने रखकर सोएं एवं सोमवार को प्रात: उसे बबूल के वृक्ष पर चढ़ा दें।