4. व्यक्ति के जीवन के साथ-साथ यह समस्त सृष्टि को भी प्रभावित करता है।
5. कुछ विद्वानों के मतानुसार यह राहु की अपेक्षा सौम्य होता है और विशेष परिस्थितियों में यह व्यक्ति को यश के शिखर पर पहुंचा देता है। इसका मंडल ध्वजाकार माना जाता है।
6. इसका वर्ण धुुएं के समान है तथा मुख विकृत है।
7. इनके दो हाथ हैं। एक हाथ में गदा तथा दूसरा वरमुद्रा धारण किए रहते हैं।
8 .इसका वाहन गिद्ध है। कहीं-कहीं इन्हें कपोत पर आसीन भी दिखाया जाता है।
9. केतु की महादशा सात साल की होती है। किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ स्थान पर रहने पर यह अनिष्टकारी हो जाता है। ऐसे केतु का प्रभाव व्यक्ति को रोगी बना देता है।