* शनि साढ़ेसाती या ढैय्या से परेशान है, तो अपनाएं यह 10 उपाय
ज्योतिषाचार्य पं. हेमंत रिछारिया का शोध एवं विश्लेषण :
साढ़ेसाती -
जब शनि गोचर में जन्मकालीन राशि से द्वादश, चन्द्र लग्न व द्वितीय भाव में स्थित होता है तब इसे शनि की 'साढ़ेसाती' या 'दीर्घ कल्याणी' कहा जाता है। शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है। इस प्रकार 'साढ़ेसाती' की संपूर्ण अवधि साढ़े सात वर्ष की मानी जाती है। सामान्यतः साढ़ेसाती अशुभ व कष्टप्रद मानी जाती है, परंतु यह एक भ्रांत धारणा है। कुण्डली में स्थित शनि की स्थिति को देखकर ही शनि की साढ़ेसाती का फल कहना चाहिए।
ढैय्या -
इसी प्रकार शनि जब गोचर में जन्मकालीन राशि से चतुर्थ व अष्टम भाव में स्थित होता है तब इसे शनि का 'ढैय्या' या 'लघु कल्याणी' कहा जाता है। इसकी अवधि ढाई वर्ष की होती है। इसका फल भी साढ़ेसाती के अनुसार ही होता है।
शनि पाया विचार -
जन्मकालीन राशि से जब शनि 1, 6, 11वीं राशि में हो तो सोने का पाया, 2, 5, 9वीं राशि में हो तो चांदी का पाया, 3, 7, 10वीं राशि में हो तो तांबे का पाया तथा 4, 8, 12वीं राशि में हो तो लोहे का पाया माना जाता है। इसमें सोने का पाया सर्वोत्तम, चांदी का मध्यम, तांबे व लोहे के पाये निम्न व नेष्ट माने जाते हैं।