यदि गुरु ग्रह खराब है तो करें लाल किताब के यह उपाय...

सौरमंडल में सूर्य के आकार के बाद बृहस्पति का ही नंबर आता है। लगभग 1,300 धरतियों को इस पर रखा जा सकता है। जिस तरह सूर्य उदय और अस्त होता है, उसी तरह बृहस्पति जब भी अस्त होता है तो 30 दिन बाद पुन: उदित होता है। गुरु ग्रह के कारण ही धरती का अस्तित्व बचा हुआ है। सूर्य, चंद्र, शुक्र, मंगल के बाद धरती पर इसका प्रभाव सबसे अधिक माना गया है।

धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु के सूर्य, मंगल, चंद्र मित्र ग्रह हैं, शुक्र और बुध शत्रु ग्रह और शनि और राहु सम ग्रह हैं। पुराणों के अनुसार बृहस्पति समस्त देवी-देवताओं के गुरु हैं। वे महर्षि अंगिरा के पुत्र हैं। उनकी माता का नाम सुनीमा है। इनकी बहन का नाम 'योग सिद्धा' है। हालांकि लाल किताब के अनुसार इस ग्रह का देवता ब्रह्मा है।

कुंडली के प्रत्येक भाव या खाने के अनुसार गुरु के शुभ-अशुभ प्रभाव को लाल किताब में विस्तृत रूप से समझाकर उसके उपाय बताए गए हैं। यहां प्रस्तुत प्रत्येक भाव की अपेक्षा गुरु के शुभ और अशुभ प्रभाव का वर्णन और उपाय।

 

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अशुभ के लक्षण : यदि आपके शरीर के भीतर गुरुत्व बल कमजोर होने लगा है तो सिर पर चोटी के स्थान से बाल उड़ने लगेंगे। गले में व्यक्ति माला पहनने की आदत डाल लेता है। ऐसे व्यक्ति के संबंध में व्यर्थ की अफवाहें उड़ाई जाती हैं। ऐसे व्यक्ति के अनावश्यक दुश्मन पैदा हो जाते हैं। उसके साथ कभी भी धोखा हो सकता है। सांप के सपने लगातार आ रहे हैं तो यह भी गुरु के अशुभ प्रभाव की निशानी है।

इसके अलावा 2, 5, 9, 12वें भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह हो या शत्रु ग्रह उसके साथ हो तो भी बृहस्पति मंदा फल देने लगता है।

इसके अलावा गुरु के खराब होने पर सोना खो जाता या चोरी हो जाता है। बिना कारण शिक्षा रुक जाती है। आंखों में तकलीफ होना, मकान और मशीनों की खराबी भी गुरु के खराब होने की निशानी है। सांस या फेफड़े की बीमारी, गले में दर्द आदि।

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शुभ के लक्षण : जिसका गुरु प्रबल होता है उसकी आंखों में चमक और चेहरे पर तेज होता है। अपने ज्ञान के बल पर दुनिया को झुकाने की ताकत रखने वाले ऐसे व्यक्ति के प्रशंसक और हितैषी बहुत होते हैं। ऐसे व्यक्ति मिलनसार और ख्‍यातिप्राप्त होते हैं।

यदि बृहस्पति उसकी उच्च राशि के अलावा 2, 5, 9, 12 में हो तो शुभ फल देने वाला होता है। गुरु के ‍शुभ होने की निशानी यह भी है कि व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोलता। उनकी सच्चाई के लिए वह प्रसिद्ध होता है।

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उपाय : यदि आपका गुरु अशुभ या कमजोर है तो आप नित्य पीपल में जल चढ़ाएं, सदा सत्य बोलें और अपने आचरण को शुद्ध रखें तो गुरु शुभ फल देने लगेगा।

इसके अलावा गुरु को शुभ करने के लिए सदा पिता, दादा और गुरु का आदर कर उनके पैर छुएं। गुरु बनाएं।

इसके अलावा अन्य अचूक उपाय यह कि गुरुवार के दिन पीली वस्तु का सेवन करें। घर में धूप-दीप दें। प्रतिदिन प्रात: और रात्रि को कर्पूर जलाएं।

घर के वास्तु को बदलें और घर को गुरु के अनुसार बनाएं। घर के बर्तन आदि वस्तुएं पीतल की रखें। तिजोरी या ‍ईशान कोण में हल्दी की गांठ को किसी सफेद कपड़े में हल्का से बांधकर रखें।

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