योगिनियों की सिद्धि के बारे में केवल एक बात ही उनकी महत्ता दर्शाती है कि धनपति कुबेर उनकी कृपा से ही धनाधिपति हुए थे। इनको प्रसन्न करने से राज्य तक प्राप्त किया जा सकता है। ये भी मुख्यत: 8 होती हैं तथा मां, बहन तथा भार्या के रूप में सर्वस्व देती हैं। इनकी साधना सावधानी भी मांगती है। पत्नी के रूप में साधना करने से अपनी पत्नी का सुख नहीं रहता है। अतिरेक करने पर सब कुछ नष्ट हो जाता है। ये योगिनियां निम्नलिखित हैं-
(1) सुर-सुंदरी योगिनी- अत्यंत सुंदर शरीर सौष्ठव अत्यंत दर्शनीय होता है। 1 मास तक साधना की जाती है। प्रसन्न होने पर सामने आती हैं तथा माता, बहन या पत्नी कहकर संबोधन करें। राज्य, स्वर्ण, दिव्यालंकार तथा दिव्य कन्याएं तक लाकर देती हैं। सभी कामनाएं पूर्ण करती हैं। अन्य स्त्रियों पर आसक्त साधक को समूल नष्ट करती हैं।
मंत्र- 'ॐ ह्रीं आगच्छ सुरसुंदरि स्वाहा।'
(2) मनोहरा योगिनी- विचित्र वेशभूषा वाली अत्यंत सुंदर, शरीर से सुगंध निकलती हुई मास भर साधना करने पर प्रसन्न होकर प्रतिदिन साधक को स्वर्ण मुद्राएं प्रदान करती हैं।
मंत्र- 'ॐ ह्रीं आगच्छ मनोहारी स्वाहा।'
(3) कनकावती योगिनी- रक्त वस्त्रालंकार से भूषित अपनी परिचारिकाओं के साथ आकर वांछित कामना पूर्ण करती हैं।
(4) कामेश्वरी योगिनी- इनका जप भी रात्रि में मास भर किया जाता है। पुष्पों से सज्जित देवी प्रसन्न होकर ऐश्वर्य, भोग की वस्तुएं प्रदान करती हैं।
मंत्र- 'ॐ ह्रीं आगच्छ कामेश्वरी स्वाहा।'
(5) रति सुन्दरी योगिनी- स्वर्णाभूषण से सज्जित देवी महीनेभर साधना के पश्चात प्रसन्न होकर अभीष्ट वर प्रदान करती हैं तथा सभी ऐश्वर्य, धन व वस्त्रालंकार देती हैं।
मंत्र- 'ॐ ह्रीं आगच्छ रति सुन्दरी स्वाहा।'
(6) पद्मिनी योगिनी- श्याम वर्ण की ये देवी वस्त्रालंकार से युक्त मास भर साधना के बाद प्रसन्न होकर ऐश्वर्यादि प्रदान करती हैं।
मंत्र- 'ॐ ह्रीं आगच्छ पद्मिनी स्वाहा।'
(7) नटिनी योगिनी- अशोक वृक्ष के नीचे रात्रि में साधना की जाकर इनकी प्रसन्नता प्राप्ति कर अपने सारे मनोरथ पूर्ण किए जा सकते हैं।
मंत्र- 'ॐ ह्रीं आगच्छ नटिनि स्वाहा।'
(8) मधुमति योगिनी- शुभ्र वर्ण वाली देवी अति सुंदर नाना प्रकार के अलंकारों से भूषित साधना के पश्चात सामने आकर किसी भी लोक की वस्तु प्रदान करती हैं। इनकी कृपा से पूर्ण आयु तथा अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। राज्याधिकार प्राप्त होता है।
मंत्र- 'ॐ ह्रीं अनुरागिणी आगच्छ मैथुन प्रिये स्वाहा।'अष्ट योगिनियों में से कोई एक साधना गुरु के मार्गदर्शन में कर अपनी हर मनोकामना पूर्ण की जा सकती है।