बीज मंत्र : 'गं'
मूल मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः
गायत्री मंत्र : एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्
ॐ श्रीं ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः
जप संख्या : प्रातः काल स्नान ध्यान आदि से निवृत्त होकर पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख कर के आसन पर विराजमान होकर सामने श्री गणेश यन्त्र की स्थापना करें। शुद्ध आसन पर बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि गणेश भगवान को समर्पित कर, गणेशजी को सूखे सिंदूर का तिलक लगाएं और इनकी आरती करें। अंत में भगवान गणेश जी का स्मरण कर ॐ गं गणपतये नमः का 1008 नाम मंत्र का जाप करना चाहिए।
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प्रभाव, महत्व और परिणाम : मूल मंत्र को जपने से समस्त विघ्नों का नाश हो जाता है। गणेशजी के मंत्र जप से बुद्धि, सिद्धि और रिद्धि प्राप्त होती है। गणेशजी के मंत्र का जप करने से मानसिक शांति मिलती है और साथ ही सभी देवताओं का आशीर्वाद भी मिलता है। भक्ति और पूर्ण विश्वास के साथ मूल मंत्र का जाप करने से जिंदगी के हर पहलू के लिए व्यक्ति को गणेशजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गणेश मंत्र बहुत महत्व का है, क्योंकि यह हर बाधा को दूर करने में सहयोग करता है और सकारात्मक परिणाम लाता है। मंत्र के प्रभाव से डर दूर होता है और जीवन का रास्ता आसान हो जाता है।
अर्थात् - गणपति, विघ्नराज, लम्बतुण्ड, गजानन, द्वैमातुर, हेरम्ब, एकदंत, गणाधिप, विनायक, चारुकर्ण, पशुपाल और भवात्मज- ये 12 गणेशजी के नाम हैं। जो प्रातःकाल उठकर इनका पाठ करता है, संपूर्ण विश्व उनके वश में हो जाता है तथा उसे कभी विघ्न का सामना नहीं करना पड़ता।