बुधवार के दिन सुबह स्नानादि कार्य से निवृत्त होकर ऋद्धि-सिद्धि सहित भगवान श्रीगणेश की मूर्ति को जल स्नान कराएं। तत्पश्चात उनके पास में शुभ-लाभ (लाभ व क्षेम) स्वरूप दो स्वस्तिक बनाएं। फिर श्रीगणेश तथा उनके परिवार को सिंदूर, अक्षत, केसरी चंदन तथा दूर्वा अर्पित करें और अपने समस्त कार्यों को निर्विघ्न संपन्न करने के लिए प्रार्थना करें।