शनिदेव/शनि ग्रह की शांति हेतु हमारे पौराणिक शास्त्रों में अनेक विधियां बताई गई हैं, जिनमें प्रमुख रूप से रुद्राभिषेक व हनुमानजी की सेवा, हवन आदि शामिल हैं।
* गोरज मुहूर्त में चींटियों को तिल चौली डालना।
* भगवान शंकर पर काले तिल व कच्चा दूध नित्य प्रतिदिन चढ़ाना चाहिए। यदि शिवलिंग पीपल वृक्ष के नीचे हो तो अति उत्तम।
* भैरव साधना, मंत्र-जप आदि करें।
* मां भगवती काली की आराधना करने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते हैं।
अत: जातक व पाठकगण श्रद्धा के साथ कोई भी एक उपाय करता रहे, जिससे कि वह स्वयं अनुभव लेकर दूसरे किसी अन्य पीड़ित व्यक्ति के कष्ट दूर कर सकता है। अतः आप बिना किसी संकोच के अपने मन से यह धारणा निकाल दें कि सारे दुःखों का कारण शनि ग्रह ही हैं। शनि ग्रह किसी कार्य को देर से करवाते हैं, परंतु कार्य अत्यंत सफल होता है।