महामृत्युंजय से नाश होता है मृत्यु, भय, रोग तथा शोक का...

शिव के साधक को न तो मृत्यु का भय रहता है, न रोग का, न शोक का। शिव तत्व उनके मन को भक्ति और शक्ति का सामर्थ्य देता है। शिव तत्व का ध्यान महामृत्युंजय मंत्र के जरिए किया जाता है।


 

इस मंत्र के जाप से भगवान शिव की कृपा मिलती है। शास्त्रों में इस मंत्र को कईं कष्टों का निवारक बताया गया है। 

यह मंत्र ये है : ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्‍धनान्। मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात्।। 

(भावार्थ : हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं।

उनसे हमारी प्रार्थना है कि वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें, ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए, उसी तरह से जैसे एक खरबूजा अपनी बेल में पक जाने के बाद उस बेल रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाता है।)

 

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