आचार्य वराहमिहिर ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ 'वराह संहिता' में ग्रह पीड़ा निवारण के लिए रत्न धारण करने पर बल दिया है। दीर्घकालीन एवं असाध्य रोगों के लिए 'रुद्रसूक्त' का पाठ या 'महामृत्युंजय' का जाप कराना भी शुभ फल देने वाला होता है।
1. जब सूर्य जन्म कुंडली की बुरी स्थिति में पड़ा हो और हानिकारक हो रहा हो, जैसे दिल की बीमारी, शासकीय कार्यों में परेशानी, आंखों में कष्ट हो, पेट संबंधी बीमारियां हो, हड्डियों में तकलीफ होती है, उस समय गुड़ का दान करना, गेहूं का दान, लाल रंग की वस्तुओं का दान, तांबे का दान एवं यज्ञ और हवन करना लाभप्रद, शुभ होगा। संकट कम होंगे। रात्रि के समय आग को दूध से बुझाने से अग्निरूपी सूर्य को उसके मित्र दूधरूपी चंद्रमा की सहायता प्राप्त होगी तथा अनिष्ट ग्रह की शांति में सहयोग मिलेगा।
2. यदि चंद्रमा के कारण कष्ट हो रहा है, माता बीमार है, मानसिक चिंता, मानसिक निर्बलता हो, फेफड़ों में रोग हो अथवा धन का नाश हो रहा है, तो चांदी को बहते पानी में बहा देने से चंद्र संबंधित कष्टों का निवारण होगा।
3. रात में दूध और पानी एक ही बर्तन में रखकर सिरहाने रखकर सो जाएं एवं प्रात: पीपल के वृक्ष में डाल दें। चंद्र से संबंधित वस्तुएं जैसे पानी, दूध, चांदी अपने से पृथक करें अर्थात किसी को भी दान कर दें। शिवजी को इस ग्रह से संबंधित माना गया है। शिव मस्तक पर चंद्रमा विराजमान है अत: भगवान शिव का दूधमिश्रित जल से पूजन करें तथा रात्रि में दूध नहीं पीएं।
4. यदि मंगल के कारण कष्ट है तो मीठी रोटी (गुड़ की) बनाकर दान करें। रेवड़ी और बताशे पानी में बहाएं तथा हनुमान जी को चोला चढ़ाएं, झंडा चढ़ाएं।
5. बुध ग्रह के कारण परेशानी हो रही है, तब कौड़ियों को जलाकर उस राख को उसी दिन नदी में बहाएं। तांबे के सिक्के में छेद करके (छिद्र) नदी में या बहते पानी में डालें। साबुत मूंग, पन्ना आदि दान करें। फिटकरी पीसकर उससे मंजन करें, ग्रह निवारण होगा।
6. जब गुरु अनिष्टकारी हो तो घर के हर सदस्य से एक-एक मुद्रा इकट्ठा कर मंदिर में गुप्त दान नियमित रूप से करें। गुड़, हल्दी, आटे में मिलाकर ब्रहस्पतिवार के दिन गाय को खिलाएं। चने की दाल, केशर, सोना आदि दान करें। लड्डूगोपाल की पूजा करें।
7. यदि शुक्र अनिष्टकारी हो तो पशुओं को चारा खिलाएं, गौदान करें। घी, कपूर, सफेद मोती, दही का दान करें। गाय को अपने भोजन से निकालकर खाना दें, तब ही स्वयं भोजन करें।
8. शनि के अनिष्ट फल दूर करने के लिए तेल में अपनी छाया को देखकर तेल दान करें। काली उड़द, लोहा, तेल से बनी वस्तु (खाद्य पदार्थ), चमड़ा, पत्थर, शराब, स्प्रिट आदि का दान करें। कौओं को अपने खाने में से कुछ भाग खिलाएं। काले कुत्ते को मीठी रोटी या गुड़ खिलाएं। चींटियों को काले तिल में गुड़ मिलाकर डालें।
9. यदि राहु के कारण अनिष्टकारी स्थिति बन रही है तो नारियल को नदी में बहाएं। मूली का दान करें। कोयला नदी में बहाएं। सफाई कर्मचारी को रुपए, कपड़े व अनाज का दान करें।
10. जन्म पत्रिका में केतु अनिष्टकारी हो तो कुत्ते को भरपेट भोजन करवाएं। केतु की दशा में पुत्र का व्यवहार बदल जाता है अत: मंदिर में अन्न, वस्त्र, कम्बल आदि का दान करें।
11. आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए, गृह क्लेश शांत करने हेतु पंढेरी (जहां पीने का पानी रखा जाता है) पर प्रतिदिन शाम को शुद्ध घी का दीपक रखकर ईश्वरीय एवं पितरों से अज्ञानतावाश हुए अपराधों के लिए क्षमा-प्रार्थना करें।
प्रतिदिन गणपति को लाजा (खील) चढ़ाने से भी रोजगार में वृद्धि होती है। प्रतिदिन सूर्योदय के समय अर्घ्य देने से शीघ्र भाग्योदय होता है। प्रतिदिन गणेशजी को दूर्वा अर्पित करने से शीघ्र भाग्योदय होता है। प्रतिदिन एक माह तक सप्तधान्य का चूरा और गुड़ मिलाकर काली चींटियों को डालना क्लेश मुक्तिकारक होता है।