किसी व्यक्ति की कुंडली में चार, आठ या बारहवें भाव में शनि है तो उस व्यक्ति को शनि की कृपा प्राप्त होती है। शनि नीच राशि में या अस्त या वक्री हो तो व्यक्ति को दुख और कष्ट ही देता है। शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है। अक्सर यह सुनने में आता है कि 'फला जातक को शनि की साढ़े साती लग गई'।
* हर शनिवार शनि मंत्र का जप करें।
मंत्र- 'ॐ शं शनैश्चराय नम:'। इस मंत्र का जप कम से कम 108 बार करना चाहिए।