कैसे पाएं शनिदेव की अनुकूलता, जानें पूजन तथा सरल उपाय

* शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो अवश्य पढ़ें ये आलेख
 
शनिदेव को कर्म प्रधानदेव कहा जाता है इसलिए जब शनि की दृष्टि जब किसी जातक पर पड़ती है तो उसे उसके कर्मों के आधार पर ही फल मिलता है। यदि जातक अच्छे कार्य करता है तो साढ़ेसाती और ढय्या में भी शनि उसे पीड़ित नहीं करते हैं। इन्हें क्रूर ग्रह भी माना जाता है और अधिकांश लोग उनसे डरते हैं, परंतु शास्त्रों में इन्हें न्याय का देवता भी माना जाता है।

प्राचीन कथाओं के अनुसार रावण ने शनि को अपने दरबार में उल्टा लटकाकर रखा था। लंकादहन के दौरान हनुमानजी ने ही शनि के बंधन तोड़े और उन्हें रावण की कैद से आजाद कराया था। तब शनिदेव ने वरदान दिया था कि वे हनुमान भक्तों को कभी कष्ट नहीं देंगे। उन्हें साढ़ेसाती के समय में भी कष्ट नहीं देंगे।
 
शनि पूजा में ध्यान रखने योग्य बातें :
 
* शनि पूजा के लिए विशेष समय रात्रि या गोधूलि अर्थात शाम का समय होता है। 
 
* दान में लोहा, उड़द की दाल, तेल, तली हुई वस्तुएं, जैसे समोसा, कचौड़ी तथा पुराने वस्त्रों का दान निर्धनों को करना चाहिए।
 
शनि को प्रसन्न करने के अचूक उपाय : 
 
* माना जाता है कि हनुमान भक्तों को शनि परेशान नहीं करते हैं। अत: हनुमानजी का बजरंग बाण, हनुमान चालीसा और संकटमोचन के नित्य पाठ से भी शनि प्रसन्न होते हैं।
 
* जिन जातकों को कड़ी मेहनत के बाद भी मनोवांछित फल नहीं मिल रहे हैं, उन्हें हर शनिवार को तेल की मालिश करनी चाहिए। इससे स्वास्थ्य लाभ भी होता है और रुके हुए काम भी बनते हैं।
 
शनि की अनुकूलता के लाभ : 
 
* शनि की अनुकूलता से व्यक्ति से साढ़ेसाती, ढय्या और कुंडली में मौजूद कमजोर शनि का प्रभाव समाप्त होता है। 
 
* कार्यों में आ रही बाधाएं खत्म होती हैं। 
 
* व्यापारियों को तरक्की होती है। 
 
* नौकरीपेशा को पदोन्नति मिलती है। 
 
* दांपत्य जीवन में आ रही परेशानियां समाप्त होती हैं। 
 
* जिन लोगों की बार-बार वाहन दुर्घटना हो रही हो, उन्हें शनि की शांति के लिए पूजा करनी चाहिए तथा जो लोग रोगों से ग्रस्त रहते हैं  उन्हें भी इससे राहत मिलती है।

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