(इस स्तोत्र को श्रद्धापूर्वक करने से सभी अरिष्टों का नाश होता है। अधिक लाभ के लिए इस स्तोत्र से नित्य हवन करें तथा 'स्वाहा' के उच्चारण के साथ गाय के घी की आहुति छोड़ें।)
नोट : इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण वेबदुनिया के नहीं हैं और वेबदुनिया इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।