नियमित सूर्य की पूजा करनी चाहिए।
सू र्य को अर्घ्य दें। तांबे के छोटे कलश में कुंकु डालकर एक रविवार से अगले रविवार तक सूर्य को चढ़ाएं। और फिर सोमवार के दिन आदित्य ह्रदय स्तोत्र पढ़कर पुन: दूध में केसर डालकर का अर्घ्य दें।
रात को सोने से ठीक पहले किसी ग्लास में दूध भरकर अपने सिर के पास रखें।
अगले दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और नहाने आदि के बाद सूर्योदय के समय किसी भी बबूल के पेड़ की जड़ में यह दूध चढ़ा आएं।