यदि किसी अविवाहित जातक को विवाह होने में बार-बार बाधाओं का सामना करना पड़ रहा हो तो नित्य प्रातः स्नान कर सात अंजुली जलं ''विश्वावसु'' गंधर्व को अर्पित करें और निम्न मंत्र का 108 बार मन ही मन जप करें। ध्यान रहे कि इसे गुप्त रखें। अपने परिजनों के अतिरिक्त किसी को भी इस बात का आभास न होने पाए कि विवाह के उद्देश्य से जपानुष्ठान किया जा रहा है। सायंकाल में भी एक माला जप मानसिक रूप में किया जाए। ऐसा करने से एक माह में सुंदर, सुशील और सुयोग्य कन्या से विवाह निश्चित हो सकता है।
पानीयस्यान्जलीन सप्त दत्वा, विद्यामिमां जपेत्।
सालंकारां वरां कन्यां, लभते मास मात्रतः॥