राहु धनु राशि में आ चुके हैं। जिससे साल भर से चली आ रही गुरु-राहु युति (चांडाल योग) खत्म हो गई हैं और साथ ही राशियों पर प्रभाव भी बदल गया है। गोचर में राहु के राशि परिवर्तन से बारह राशियों पर प्रभाव की विवेचना-
1. मेष : नवम स्थान से भ्रमण, भाग्य हानि, पिता से अनबन, धार्मिक कार्यों में अरुचि, मानसिक अस्थिरता।
2. वृषभ : आठवाँ राहु, शारीरिक कष्ट, दुर्घटना का भय, वाणी पर नियंत्रण रखें, धन की कमी।
3. मिथुन : सातवाँ गोचर, पत्नी-पति से मतभेद, जीविका क्षेत्र में भी परेशानी, मानसिक तनाव।
5. सिंह : पाँचवा राहु सामान्य लाभ, परिश्रम के बाद सफलता, धन हानि, मित्रों से असहयोग या गलतफहमी।
6. कन्या : चौथे भाव से भ्रमण, माता को कष्ट, वाहन से सावधानी, मानसिक तनाव, कष्ट रहेगा।
7. तुला : तीसरा राहु पराक्रम व मनोबल बढ़ाएगा, भाग्यवृद्धि, धन लाभ और सुख प्राप्ति के योग।
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8. वृश्चिक : दूसरा गोचर, धन आएगा मगर व्यय भी होगा। वाणी पर नियंत्रण रखें, परिवार में कष्ट, अशांति।
9. धनु : स्वराशि से भ्रमण, आत्मशक्ति में कमी, अशांति, स्वास्थ्य गड़बड़, निर्णय लेने में दुविधा की स्थिति।
10. मकर : व्यय भाव का राहु व्यय कारक, आँखों में तकलीफ, मानसिक कष्ट, परिश्रम की अधिकता, कुसंग से बचें।
11. कुंभ : ग्यारहवाँ राहु आय बढ़ाएगा, खुशी-उन्नति, मित्रों से सहयोग, नए अवसर मिलेंगे।
12. मीन : दसवाँ राहु सफलता प्राप्ति देगा। राज्य पक्ष से सहयोग, दुश्मनों पर विजय मिलेगी।
विशेष : ये फल केवल गोचर के स्थूल फल हैं। कुंडली में अन्य ग्रहों के बलाबल, गोचर में अन्य ग्रहों की स्थिति व राहु केतु की कुंडली में स्थिति के अनुसार प्रभाव तीव्र या मंद अनुभूत हो सकते हैं। प्रतिकूल स्थिति में राहु केतु का दान, गणेश जी व सरस्वती की उपासना व मछलियों व पक्षियों को सेवा लाभ देगी।