Kali chaudas 2024: नरक चतुर्दशी को क्यों कहते हैं भूत चौदस, किसकी होती है पूजा?

WD Feature Desk

शनिवार, 26 अक्टूबर 2024 (18:04 IST)
Bhut Kali chaudas 2024: कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, रूप चौदस, काली चौदस और भूत चौदस कहते हैं। इस दिन माता काली, हनुमानजी, यमराज और श्रीकृष्‍ण की पूजा होती है। इस बार यह तिथि दो दिन पड़ रही है। 30 अक्टूबर और 31 अक्टूबर को। उदयातिथि से कई लोग 31 अक्टूबर को मनाएंगे लेकिन इसकी रात्रि पूजा 30 अक्टूबर को ही होगी।
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 01:15 बजे से।
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे तक।
 
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है, जिसे नरक चौदस भी कहा जाता है। इस दिन स्वर्ग एवं रूप की प्राप्ति के लिए सूर्योदय से पहले उबटन, स्नान एवं पूजन किया जाता है। लेकिन इस दिन को रूप चौदस और नरक चौदस के अलावा काली चौदस और भूत चौदस भी कहा जाता है, जो बहुत कम लोग जानते हैं।ALSO READ: 30 को या 31 अक्टूबर 2024 को, कब है नरक चतुर्दशी और रूप चौदस का पर्व?
 
काली चौदस : दरअसल, पूरे भारतवर्ष में रूप चतुर्दशी का पर्व यमराज के प्रति दीप प्रज्जवलित कर, यम के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए मनाया जाता है, लेकिन बंगाल में मां काली के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके कारण इस दिन को काली चौदस कहा जाता है। इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व होता है। काली मां के आशीर्वाद से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफलता मिलती है। काली चौदस बंगाल के अलावा मुख्य रूप से पश्चिमी राज्यों, विशेषतः गुजरात में मनायी जाती है।
 
क्यों कहते हैं भूत चौदस : काली चौदस की पूजा और अनुष्ठान निशीथ काल यानी मध्यरात्रि में की जाती है। कुछ लोग जो तांत्रिक होते हैं या तांत्रिक कार्य करने की मंशा रखते हैं वे इस समय श्मशान जाकर अंधकार की देवी एवं वीर वेताल की पूजा करते हैं। इसलिए इसे भूत चौदस भी कहते हैं। मध्यरात्रि में चतुर्दशी होने पर काली चौदस का दिन निर्धारित किया जाता है। बंगाल काली पूजा, काली चौदस के एक दिन पश्चात मध्यरात्रि में अमावस्या तिथि प्रचलित होने पर मनाई जाती है।ALSO READ: Roop chaturdashi 2024: रूप चौदस का अभ्यंग स्नान कब होगा, जानिए शुभ मुहूर्त और स्नान विधि

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