प्रभुदयाल श्रीवास्तव

12, शिवम सुंदरम नगर, छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश (Mo.-+919131442512)
poem for childrens : बांध लिया बिस्तर जाड़े ने, हुआ रफू-चक्कर। सूरज के हाथों में देखा, जब हल्का हंटर। गरमी थोड़ी बढ़ी, मस्त सी, पुरवाई आई। लगती है अब छुअन...
ठंड में चिरैया उड़कर आई, घुस गई घरों दुकानों में। मफलर ओढ़ो स्वेटर पहनो, बोली सबके कानों में। मुझसे बोली दादाजी को, गरम कोट सिलवा देना। फटी जुराबें चप्पल...
कमर में करधन नाक में बाली, हाथ में कंगन पहने हैं। अहा! अहा! री गुड़िया रानी, तेरे अब क्या कहने हैं। तीन साल की उमर सलोनी, फुदक-फुदक कर चलती है। नहीं संभल...
Poem Munga Phalli : झूल रही ऊंचे तरुवर पर, फल्ली मुनगा की। इसे कहीं कहते हैं सहजन, और कहीं सोजन। गांवों में तो होता है यह, मन भावन भोजन। दादी हो या नानी...
Poem We will not create Ravana: इस साल दशहरे पर भैया, हम रावण नहीं बनाएंगे। हर साल बनाया है रावण, खुश होकर उसे जलाया है। जब फट-फट करके जला खूब,मस्ती...
जहां सतपुड़ा के जंगल में मौसम इतराता। डाल-डाल संगीत बजाती, हर पत्ता गाता। आम, नीम, पीपल, बरगद में ईश्वर की बस्ती। सूरज किरणों...
बहुत दिनों के बाद ठसक कर, पूंछ मूंछ से बोली। शर्म नहीं आती करते हो, मुझसे रोज ठिठोली। मुंह को पीछे मोड़-मोड़कर...
मजेदार बाल कविता : चूहों के अच्छे दिन आ गए। उन्हें बिल्ली के बच्चे खा गए। अब न उन्हें किताब कुतरना है। न रोटी के लिए रण में जाना है। उन्हें...
Child poem in hindi : ना मुझको भैया से लड़ना, ना दीदी से लड़ना है। मुझे पत्रिका एक दिला दो, मुझे कहानी पढ़ना है। वही कहानी अच्छी लगती, चित्र छपे हों जिसके...
Kids Poem : सभी समझते मुझको भौंदू कहते नन्हा छौना। पता नहीं क्यों लोग मानते, मुझको महज खिलौना, कभी हुआ सोफा गीला तो, डांट मुझे पड़ती है। बिना किसी की...
उनको झोला झंडी क्या, गरमी सरदी ठंडी क्या। बिन पैरों के सफर करें, सड़क और पगडंडी क्या। सब धर्मों को माने वे, अल्लाह ईसा चंडी क्या। नहीं किसी से डरते हैं,अर्जुन...
poem on kids : हुई पेंसिल दीदी ग़ुस्सा, लगी इरेज़र को धमकाने। ठीक न होगा अगर आज तुम, आईं मेरा लिखा मिटाने। लिखती हूं मैं, चित्र बनाती, और बनाती हूं रेखाएं।...
गोल टमाटर पहुंचा गिलकी, के संग ब्याह रचाने। लेकिन उसको डांट भगाया, गिलकी की अम्मा ने। बोली गिलकी बिटिया को तो, लगता भला करेला। बचपन से ही साथ पढ़ा है,...
सभी खिलौने भूखे प्यासे, और कुपोषित हैं। मोबाइल के पद अर्पण से, सारे शोषित हैं। अलमारी में सभी बंद हैं, दम सा घुटता है। भालू अपने बच्चे के संग, रोता रहता...
Kids Poems : आइए, यहां पढ़ें बच्चों की कुछ खास मजेदार कविताएं। ये कविताएं हमें भी अपने बचपन से रूबरू करवाती हैं तथा अपने बालपन की ओर ले जाकर हमारा मनोरंजन...
हाथी बोला ब्याह करूंगा, तुमसे चींटी रानी। चींटी बोली क्यों करता रे, बातें ये बचकानी। तू है दस फुट ऊंचा, मैं हूं, एक मिलीमीटर की। तुझ से ब्याह रचा कर...
खेलकूद खाने-पीने को, अब हम हैं आजाद। हम बच्चे जिंदाबाद। पिज़्ज़ा बर्गर चाउमिन का, दही बड़ों का हल्ला। यह सब देने में अब मम्मी, नहीं झाड़ती पल्ला। गर्मी...
मम्मी मैं भी बड़ी हो गई। घिसट रही थी घुटनों के बल, लेकिन अब मैं खड़ी हो गई। मम्मी मैं भी बड़ी हो गई। सरक-सरक कर इस कोने से, उस कोने पहुंची कई बार। पता नहीं...
Poem on instrument : मम्मी मुझको नहीं खेलने, देती है अब घर घूला, न ही मुझे बनाने देती, गोबर मिट्टी का चूल्हा, गपई समुद्दर क्या होता है, नहीं जानता अब...
दुर्गावती धीर वीर नारी थी, गढ़मंडल की वह रानी थी। दूर-दूर तक थी प्रसिद्ध, सबकी जानी-पहचानी थी। उसकी ख्याती से घबराकर, मुगलों ने हमला बोल दिया। विधवा रानी...