संजय द्विवेदी
(लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में जनसंचार विभाग के अध्यक्ष हैं)
हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाते समय हम सवालों से घिरे हैं और जवाब नदारद हैं। पं. जुगुलकिशोर शुकुल ने जब 30 मई ,1826 को कोलकाता से उदंत मार्तण्ड की शुरुआत की...
लेखक लोकेन्द्र सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। कवि, कहानीकार, स्तम्भलेखक होने के साथ ही यात्रा लेखन में भी उनका दखल है। घुमक्कड़ी उनका स्वभाव है। वे जहां...
सनातन संस्कृति का यह स्वर्णिम दौर चल रहा है और भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सनातन संस्कृति के महत्वपूर्ण विचारों 'वसुधैव कुटुम्बकम्' अर्थात्...
एक स्वस्थ, टिकाऊ और विकसित लोकतंत्र वही होता है, जिसमें विविधता के लिए भरपूर जगह होती है, लेकिन विरोधाभास नहीं होते। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र...
नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज डे पर विशेष लेख
उपेक्षित नहीं प्राथमिकता वाली बीमारी मानने से पाएंगे पार
आओ संकल्प लें कि - 10 फरवरी से शुरू हो रहे एमडीए...
वर्ष 2020 की शुरुआत में ही ये लगने लगा था कि हमारा जीवन कम से कम अगले कुछ वर्षों तक सामान्य नहीं रहने वाला और हमें जिंदगी जीने का नया ढंग सीखना होगा। इस...
माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के आयोजन ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत कहानीकार सुश्री प्रियंका ओम ने ‘सृजनात्मक लेखन’ विषय पर जहां अपने विचार...
अजीत जोगी यानि एक ऐसा नायक जिसने बेहद खुरदरी जमीन से जिंदगी की शुरुआत की
पूरी नैतिकता के साथ, सत्य के साथ खड़े होकर अपनी खबरों से मीडिया को समृद्ध कर रहा है।
इन सात दशकों में जैसा देश बना या बनाया गया है, उसके कारण उपजे संकट भी सामने हैं।
भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विद्यार्थी अपने पत्रकारीय अभिव्यक्ति के माध्यम से कोरोना वायरस के खिलाफ देशव्यापी...
मध्यप्रदेश उन राज्यों में है जहां कोरोना का संकट कम नहीं है। खासकर भोपाल, इंदौर जैसे शहर कोरोना के हॉटस्पॉट के रूप में मीडिया में अपनी जगह बनाए हुए हैं,
पं. माखनलाल चतुर्वेदी हिन्दी पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में एक ऐसा नाम हैं, जिसे छोड़कर हम पूरे नहीं हो सकते। उनकी संपूर्ण जीवनयात्रा, आत्मसमर्पण...
प्रख्यात चिंतक और विचारक हरेन्द्र प्रताप ने आपातकाल के दर्द को बयां करते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी को आपातकाल के दौर को याद दिलाने की आवश्यकता है।
महात्मा गांधी की मूलत: गुजराती में लिखी पुस्तक 'हिन्द स्वराज' हमारे समय के तमाम सवालों से जूझती है। महात्मा गांधी की यह बहुत छोटी-सी पुस्तिका कई सवाल उठाती...
हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता को सम्मानित किए जाने के लिए दिया जाने वाला पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान इस वर्ष 'अलाव' (दिल्ली)...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में परिवर्तन कर देश की जनता को यह संदेश देने की कोशिश की है कि वे राजनीतिक संस्कृति में परिवर्तन के अपने वायदे...
भारतीय राजनीति और समाज में संवाद के गिरते स्तर और संवाद माध्यमों पर भीड़ के मुखर हो उठने का यह विचित्र समय है। यह वाचाल भीड़ समाज से लेकर सोशल मीडिया तक...
केरल में आए दिन हो रही राजनीतिक हत्याओं से एक सवाल उठना लाजिमी है कि भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में क्या असहमति की आवाजें खामोश कर दी जाएंगी? एक तरफ वामपंथी...
इजराइल और भारत का मिलन दरअसल दो संस्कृतियों का मिलन है। वे संस्कृतियां जो पुरातन हैं, जड़ों से जुड़ी है और जिन्हें मिटाने के लिए सदियां भी कम पड़ गयी हैं।...