रामकुमार कृषक साहित्यिक पत्रकारिता के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर होने के साथ-साथ देश के जाने-माने संस्कृतिकर्मी, कवि एवं लेखक हैं। 1989 से वे लोकोन्मुख साहित्य चेतना पर केंद्रित महत्वपूर्ण पत्रिका 'अलाव' का संपादन कर रहे हैं।
सम्मान कार्यक्रम आगामी 4 फरवरी 2018 को गांधी भवन, भोपाल में दिन में 11 बजे आयोजित किया गया है। 'मीडिया विमर्श' पत्रिका के कार्यकारी संपादक संजय द्विवेदी ने बताया कि आयोजन में अनेक साहित्यकार, बुद्धिजीवी और पत्रकार हिस्सा लेंगे। पुरस्कार के निर्णायक मंडल में विश्वनाथ सचदेव, रमेश नैयर, डॉ. सच्चिदानंद जोशी शामिल हैं।
इसके पूर्व यह सम्मान वीणा (इंदौर) के संपादक स्व. श्यामसुंदर व्यास, दस्तावेज (गोरखपुर) के संपादक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, कथादेश (दिल्ली) के संपादक हरिनारायण, अक्सर (जयपुर) के संपादक डॉ. हेतु भारद्वाज, सद्भावना दर्पण (रायपुर) के संपादक गिरीश पंकज, व्यंग्य यात्रा (दिल्ली) के संपादक डॉ. प्रेम जन्मेजय, कला समय के संपादक विनय उपाध्याय (भोपाल), संवेद के संपादक किशन कालजयी (दिल्ली) और अक्षरा (भोपाल) के संपादक कैलाशचन्द्र पंत को दिया जा चुका है।
त्रैमासिक पत्रिका 'मीडिया विमर्श' द्वारा प्रारंभ किए गए इस अखिल भारतीय सम्मान के तहत साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले संपादक को 11 हजार रुपए, शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह और सम्मान पत्र से अलंकृत किया जाता है।
कौन हैं रामकुमार कृषक?
1 अक्टूबर 1943 को अमरोहा (मुरादाबाद, उप्र) के एक गांव गुलड़िया में जन्मे रामकुमार कृषक ने मेरठ विश्वविद्यालय से हिन्दी में एमए की उपाधि और प्रयाग विवि से साहित्यरत्न की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने दिल्ली में लंबे समय तक पत्रकारिता की। अध्यापन और लेखन करते हुए वे 8वें दशक के प्रमुख प्रगतिशील-जनवादी कवियों में शुमार हुए।
गजल और गीत विधाओं में विशेष योगदान के साथ-साथ कहानी, संस्मरण, साक्षात्कार और आलोचना आदि गद्य विधाओं में भी उल्लेखनीय स्थान। 7 कविता संग्रहों के अलावा विविध विधाओं में 1 दर्जन से अधिक किताबें प्रकाशित। 1978 से 1992 तक राजकमल प्रकाशन में संपादक और संपादकीय प्रमुख रहे। 1989 से 'अलाव' पत्रिका के संपादक।