मोदी के इस बयान से पहले सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं और प्रवक्ताओं से राम मंदिर मुद्दे पर भावनात्मक या उकसाने वाले बयान देने से बचने के लिए कहा था। पार्टी ने शांति कायम रखने के लिए अपने सांसदों से अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में जाने को भी कहा था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी कुछ दिन पहले अपने स्वयंसेवकों से इसी तरह की अपील की थी।
संघ के शीर्ष नेतृत्व ने 'प्रचारकों' की हालिया बैठक में कहा था कि अगर राम मंदिर का फैसला उनके पक्ष में आया, तो वे न ही कोई जश्न मनाएं और न ही जुलूस निकालें। गौरतलब है कि संघ और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी और उस दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि शीर्ष न्यायालय का फैसला चाहे जो भी हो न तो कोई जूनूनी जश्न होना चाहिए और न ही हार का हंगामा हो।