Baisakhi parv 2023 : 13 अप्रैल 1699 को दसवें गुरु गोविंदसिंहजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। उस समय बैसाखी का पर्व भी था। यानी बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी। पंजाब और हरियाणा के किसान सर्दियों की फसल काट लेने के बाद नए साल की खुशियां मनाते हैं। यह रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। बैसाखी नाम वैशाख मास से पड़ा है क्योंकि यह त्योहार इसी माह में आता है।
2. पंच प्यारे खालसा पंथ से जुड़े हैं। कहते हैं कि गुरु गोविंद सिंह के समय मुगल बादशाह औरंगजेब का आतंक जारी था। तब उन्होंने इन पंच प्यारों को गुरुजी ने अमृत (अमृत यानि पवित्र जल जो सिख धर्म धारण करने के लिए लिया जाता है) चखाया। इसके बाद इसे बाकी सभी लोगों को भी पिलाया गया। इस सभा में हर जाती और संप्रदाय के लोग मौजूद थे। सभी ने अमृत चखा और खालसा पंथ के सदस्य बन गए।
3. बाबा बुड्ढ़ा ने गुरु हरगोविंद को 'मीरी' और 'पीरी' दो तलवारें पहनाई थीं। युद्ध की दृष्टि से गुरुजी ने केसगढ़, फतेहगढ़, होलगढ़, अनंदगढ़ और लोहगढ़ के किले बनवाएं। पौंटा साहिब आपकी साहित्यिक गतिविधियों का स्थान था। कहते हैं कि उन्होंने मुगलों या उनके सहयोगियों के साथ लगभग 14 युद्ध लड़े थे। इसीलिए उन्हें 'संत सिपाही' भी कहा जाता था। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे।