सहारा से जुड़ा मामला साधारण शब्दों में कुछ इस तरह का है कि आप कुछ लोगों से इस नाम पर पैसे लेते हैं कि इतने समय के बाद हम आपके पैसे अमुक मुनाफ़े के साथ आपको लौटाएंगे।
ये फंड बांड के आधार पर लिए गए थे जिसमें निवेशकों के पास संपत्ति या पैसे वापस लेने के विकल्प मौजूद थे। लेकिन कुछ लोग यह कहते हुए अदालत चले जाते हैं कि उन्हें पैसे वापस मिलने में दिक्क़त आ रही है, मामला बढ़ते-बढ़ते देश की सबसे बड़ी अदालत पहुंच जाता है, जो कहती है कि पैसे वापस करने होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में सहारा को दिए गए आदेश में कहा कि वो धारकों के 24400 करोड़ रुपए वापस करे। उसे मूल पर 15 प्रतिशत ब्याज देने का भी हुक्म हुआ। कुल निवेशकों की संख्या दो करोड़ बीस लाख है।
सुनवाई : इस बीच कंपनी इस मामले की सुनवाई की गुज़ारिश करती है। सहारा का कहना यह भी था कि वो मामले में पहले पांच हज़ार करोड़ रुपए एक अकाउंट में जमा करवा चुका है, लेकिन अदालत उसे पूरे पैसे जमा करवाने को कहती है।
बाद में सुप्रीम कोर्ट, शेयर बाज़ार की देख-रेख करने वाली संस्था- सिक्यूरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया, यानी सेबी, से पूछती है कि अगर कंपनी पैसे वापस नहीं कर पा रही तो उसकी संपत्ति ज़ब्त क्यों नहीं की जाती?
इसके बाद सेबी ने सहारा समूह की सहारा हाउसिंग इवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा इंडिया रियल स्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड के बैंक खातों पर रोक और उसकी संपत्ति की क्लिक करें ज़ब्ती के हुक्म जारी कर दिए हैं।
सेबी ने सहारा समूह के प्रमुख सुब्रतो राय और तीन अन्य निदेशकों के बैंक खातों और संपत्ति के लिए भी इसी तरह के हुक्म जारी किए हैं।
सहारा समूह है क्या? : सहारा समूह की वेबसाइट के मुताबिक़ कंपनी की शुरुआत मात्र दो हज़ार रुपए से उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में हुई थी, जिसमें तब दो लोग काम करते थे।
कंपनी रियल एस्टेट से लेकर, मीडिया, वित्त, सूचना प्रौधोगिकी, निर्माण, ख़ुदरा व्यापार में मौजूद है। पहले उसके पास एक विमान कंपनी भी होती थी जिसे बाद में भारत की एक अन्य कंपनी ने ख़रीद लिया। वो आईपीएल में पुणे वारियर्स टीम की भी मालिक है।
सहारा भारतीय क्रिकेट टीम की भी प्रायोजक है। साथ ही भारतीय हॉकी टीम और महिला क्रिकेट टीम की भी प्रायोजक सहारा ही है।