कितना खौफ पैदा करेगा कांचा?

शुक्रवार, 27 जनवरी 2012 (14:59 IST)
BBC
कितने आदमी थे, मैं वो बला हूं जो शीशे से पत्थर को तोड़ता हूं, यहां लोग आते अपनी मर्जी से हैं और जाते मेरी मर्जी से हैं और मोगेंबो खुश हुआ। ये कुछ ऐसे डायलॉग हैं जो हिंदी सिनेमा के इतिहास में अमर हो गए और ये फिल्मों के हीरो के नहीं बल्कि खलनायकों यानी विलेन के संवाद हैं।

गब्बर सिंह, शाकाल, मोगेंबो- ये वो पात्र हैं जो भारतीय सिनेमा में हमेशा याद रखे जाएंगे। ये किरदार पीढ़ी दर पीढ़ी खौफ मचाते रहे हैं। और अब इसी उम्मीद में आया है फिल्म अग्निपथ में कांचा का किरदार, जिसे निभा रहे हैं संजय दत्त।

भयानक डील डौल, गंजा सर और कानों में बालियां पहने कांचा का किरदार क्या लोगों के जेहन में वही खौफ पैदा कर पाएगा जो गब्बर, शाकाल या मोगेंबो ने पैदा किया।

क्या कांचा का किरदार निभाने वाले संजय दत्त अमजद खान, अमरीश पुरी और प्राण जैसे अभिनेताओं की तरह सिनेमा प्रेमियों के दिल में डर और घृणा पैदा कर पाएंगे। या ये सिर्फ उनके भयावह गेटअप का शुरुआती खौफ साबित होगा। ये कहना अभी मुश्किल होगा क्योंकि अग्निपथ गुरुवार को ही रिलीज हुई।

ऐसे में दर्शकों की प्रतिक्रिया जानने तक का इंतज़ार करना होगा। लेकिन फिल्म के प्रोमो और प्रमोशन के दौरान उनके इस किरदार को जिस तरह से पेश किया गया उसने इस नई बहस को जन्म तो दे ही दिया है।

संजय दत्त कहते हैं कि उनके इस किरदार को लेकर लोगों के मन काफी उत्साह है। और जहां-जहां वो प्रमोशन के लिए गए लोग कांचा-कांचा चिल्ला रहे थे। किसी खलनायक के किरादर के प्रति लोगों के मन में इतनी जिज्ञासा शायद पहली बार पैदा हुई है।

मीडिया से बात करते हुए संजय दत्त ने बताया, 'जब मैं फिल्म की डबिंग कर रहा था तो अपने आपको पर्दे पर देखकर मैं खुद चौंक गया और डर कर बाहर आ गया। मैं अपने आपको देखकर इतना विचलित हो गया कि थोड़ा दिमाग को संभालना चाहता था। इसलिए डबिंग से मैंने ब्रेक लिया।'

फिल्म व्यापार विशेषज्ञ तरण आदर्श कहते हैं कि संजय दत्त का ये डरावना रूप लोगों को जरूर हैरान करेगा और कांचा के इस किरदार के ऐतिहासिक बनने के पूरे अवसर हैं।

फिल्म समीक्षक नम्रता जोशी कहती हैं, 'हॉलीवुड हो या बॉलीवुड। इस तरह के खतरनाक गेट अप वाले विलेन कोई नई बात नहीं है। ये हमेशा से ही सिनेमा का हिस्सा रहे हैं। ये दर्शकों के मन में खलनायक के प्रति खौफ पैदा करने में मदद करते हैं।'

नम्रता आगे कहती हैं कि संजय का ये कांचा का किरदार कितना खौफ पैदा करेगा ये तो अभी देखने वाली बात होगी। और गब्बर या मोगेंबो की तरह वो यादगार बन पाएगा या नहीं इस सवाल का जवाब भी नम्रता जल्दबाजी में नहीं देना चाहतींवैसे खुद संजय दत्त भी मानते हैं कि सिर्फ डरावने गेटअप वाला खलनायक काफी नहीं है फिल्म को मजबूत बनाने के लिए।

वो कहते हैं, 'हॉलीवुड में जॉन ट्रवोल्टा, हीथ लैजर जैसे खलनायक हैं। हमारी हिंदी फिल्मों में गब्बर सिंह निभाने वाले अमजद खान थे, जिनका गेटअप नहीं बल्कि जिनका किरदार भयावह था। जो लोगों को यादगार लगा।'

नम्रता जोशी भी कुछ ऐसी ही राय रखती हैं। वो कहती हैं, 'शोले के गब्बर सिंह के गेटअप में कुछ भी डरावना नहीं था। फिर भी वो भारतीय सिने इतिहास का सबसे खतरनाक विलेन है। क्योंकि गब्बर के किरदार को बुरा बनाने के लिए ख़ासी मेहनत की गई थी जो पर्दे पर नजर भी आई।'

लेकिन साथ ही नम्रता ने ये भी माना कि शान का शाकाल (कुलभूषण खरबंदा) और मिस्टर इंडिया के मोगेंबो (अमरीश पुरी) के यादगार बनने में उनके चरित्र के साथ-साथ उनका गेटअप भी मददगार साबित हुआ।

खलनायक की अहमियत?
अभिनेता ऋतिक रोशक मानते हैं कि किसी फ़िल्म की कामयाबी में मजबूत खलनायक का बेहद अहम योदगान होता है।

वो बताते हैं कि अग्निपथ में उनका किरदार शुरुआत में काफ़ी दबा, सहमा सा और कमजोर लड़के का है। जिस पर बेहद मजबूत और खौफनाक खलनायक कांचा कहर बरपाता है। तो ऐसे में जब उनका किरदार मजबूती से उभरता है तो दर्शकों को ये देखने में बहुत मजा आता है।

बाजीगर, डर, अंजाम और हालिया रिलीज डॉन 2 में नकारात्मक भूमिका निभाने वाले अभिनेता शाहरुख खान स्वीकारते हैं कि ऐसी भूमिकाएं निभाते समय उन्हें बड़ा मजा आता है और एक अजीब-सा नशा मिलता है।

नम्रता जोशी भी कहती हैं कि चाहे मदर इंडिया में क्रूर जमींदार की भूमिका में कन्हैया लाल हों, या शोले में डाकू गब्बर सिंह की भूमिका में अमजद खान हों या फिर मिस्टर इंडिया में मोगेंबो के किरदार में अमरीश पुरी हों। इन सभी ने इन फिल्मों को लीड किया है और फिल्म की कामयाबी में

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