जानवर नहीं इंसान हूं मैं : यासीन मलिक

बुधवार, 13 फ़रवरी 2013 (14:29 IST)
BBC
कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने कहा है कि अफजल गुरू की फांसी के विरोध में इस्लामाबाद में 24 घंटे का अनशन करने के लिए अगर भारत सरकार उनका पासपोर्ट जब्त करना चाहती है तो कर ले।

इस्लामाबाद से बीबीसी हिंदी सेवा से बातचीत में यासीन मलिक ने कहा, 'मैं कोई जानवर नहीं हूं। मैं इंसान हूं। सार्वजनिक जीवन है मेरा। मैं राजनीति में हूं। कश्मीर में इतना बड़ा हादसा हो जाए और आप कहते हैं कि आप चुप बैठिए, आपको बोलने का हक नहीं है?'

उन्होंने कहा, 'जेल मेरा दूसरा घर है। मैंने अपनी जिंदगी के दस साल जेलों में गुजारे हैं। आज अगर भारत सरकार मेरा पासपोर्ट खारिज करना चाहती है और मेरे पहुंचते ही मुझे गिरफ्तार करना और इंटेरोगेशन सेंटर ले जाना चाहती है तो ये उसकी इच्छा है। वो ये कर सकती है।'

भारतीय संसद पर हमले की साजिश में शामिल पाए गए अफजल गुरू को फांसी दिए जाने के खिलाफ यासीन मलिक ने इस्लामाबाद में चौबीस घंटे का अनशन किया था।

इस अनशन में लश्कर ए तैबा के संस्थापक बताए दाने वाले हफीज सईद भी पहुंचे थे। उन्हें भारत 2006 में मुंबई पर हुए हमलों का मास्टरमाइंड मानता है।

विवाद : यासीन मलिक और हफीज सईद एक ही मंच पर बैठे थे और उनकी ये तस्वीर अखबारों में छपने के बाद भारत में हंगामा खड़ा हो गया। भारतीय जनता पार्टी ने यासीन मलिक का पासपोर्ट जब्त करने की मांग कर दी।

इस पर यासीन मलिक ने बीबीसी हिंदी को बताया, 'हमें भारत सरकार ने 2005 में पासपोर्ट दिया था। वो पासपोर्ट राजनीतिक यात्रा के लिए दिया गया था क्योंकि पाकिस्तान से हमें राजनीतिक तौर पर आने का निमंत्रण मिला था। पहली रात को भारत सरकार ने खुद पासपोर्ट हमारे घर पर पहुंचा दिया।'

उन्होंने कहा कि अब अगर सरकार पासपोर्ट को जब्त करना चाहती है तो कर ले। अगर वो हमें गिरफ्तार करके इंटेरोगेशन सेंटर ले जाना चाहती है तो कर ले।

इस्लामाबाद में अनशन को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा, 'लोगों को संतुष्ट करने के लिए एक बेगुनाह शख्स को फांसी चढ़ा दिया गया। कानून और संविधान का कत्ल किया गया। उसके खिलाफ हमने यहां अहिंसक जनतांत्रिक विरोध किया चौबीस घंटे की भूख हड़ताल..। उस पर मुझे कोई शर्मिंदगी नहीं है। अगर उसके लिए मुझे जेल या इंटेरोगेशन सेंटर ले जाना चाहते हैं, ये उनकी इच्छा है।'

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