लोग अपने पालतू जानवरों यानी कुत्ते बिल्ली के लिए क्या नहीं करते, लेकिन अमेरिकी मरीन सैनिकों ने एक गधे के लिए जो किया है उसकी मिसाल कम ही मिलेगी।
इराक के अनबार प्रांत में तैनात मरीन सैनिक एक गधे को इराक से अमेरिकी ले आए हैं क्योंकि इस गधे के साथ सैनिकों की दोस्ती हो गई थी। भले ही गधे को इराक से अमेरिकी लाने में 37 दिन और हजारों डॉलर लगे हों, लेकिन ये गधा अब अमेरिकी में है। जी हां, स्मोक नाम का यह गधा इसी हफ्ते न्यूयॉर्क पहुंचा है और अब अमेरिकी निवासी है।
अमेरिकी सैनिकों और इस गधे की दोस्ती चार साल पुरानी है। 2008 में इराक के फलूजा में अमेरिकी मरीन शिविर के पास यह गधा घूमता-फिरता पहुंचा था। राख के रंग के इस गधे ने एक मरीन सैनिक के हाथ से सिगरेट छीना और चबाने लगा।
गधे की यह अदा मरीन सैनिकों को इतनी अच्छी लगी कि वो उसे सिगरेट के पैकेट देने लगे और उसका नाम भी रख दिया स्मोक। जब अमेरिकी मरीन 2009 में यहां से गए तो वो उस गधे को इराक में ही एक शेख को देकर गए ताकि स्मोक का ख्याल रखा जा सके।
लेकिन जॉन फॉल्सम नामक मरीन अमेरिकी वापस लौटकर भी स्मोक को भुला नहीं पाए क्योंकि फॉल्सम हर दिन स्मोक को घुमाया करते थे। फॉल्सम को स्मोक की याद आने लगी और उन्होंने तय कर लिया कि जो भी हो स्मोक को अमेरिकी लाकर रहेंगे।
सैन्य परिवारों और घायल सैनिकों के लिए सहायता समूह स्थापित करने वाले फॉल्सम ने जब स्मोक को वापस लाने के लिए शेख से बात की तो शेख ने स्मोक की कीमत लगाई 30 हजार डॉलर।
हालांकि शेख को तो पैसे नहीं दिए गए, लेकिन स्मोक को इराक से अमेरिका लाने में तीस से चालीस हजार डॉलर का खर्चा जरूर आया।
अब स्मोक करीब 11 हजार किलोमीटर की यात्रा कर के अमेरिकी पहुंचा है, लेकिन इस यात्रा से पहले उसे अपना रक्त परीक्षण करवाना पड़ा। स्वास्थ्य सर्टिफिकेट बनवाना पड़ा। इतना ही नहीं कस्टम, कृषि और एयरलाइन अधिकारियों से भी निपटना पडा।
मंहगा पड़ा स्मोक : हालांकि फॉल्सम को सोसायटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स इंटरनेशनल से काफी मदद मिली। यह संस्था इराक से कुत्ते और बिल्लियों को अमेरिका लाने में मदद करती रही है।
सोसायटी के टेरी क्रिस्प कहते हैं, ‘यह अनोखा अनुभव था। किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि हम एक गधे को अमेरिकी ले जाना चाहते हैं। लोग हंसते थे क्योंकि इराक और आस-पास के देशों में गधे की कोई इज्जत होती नहीं है। वो कुत्ते और बिल्लियों की तरह लोगों का लाड़ला नहीं होता है।’
क्रिस्प बताते हैं कि कुत्ते और बिल्लियों के उलट स्मोक के लिए कार्गो प्लेन में जगह बनानी पड़ी और तुर्की में स्मोक को तीन हफ्ते रुकना पड़ा। यात्रा के दौरान स्मोक काफी लोकप्रिय हो गए और एक समय अमेरिका में तुर्की के राजदूत स्मोक की स्थिति पर हर दिन अपडेट मांगते थे।
पांच अप्रैल को स्मोक ने इराक से अमेरिका की अपनी यात्रा शुरू की और 37 दिनों के बाद अमेरिका पहुंचे। इस दौरान स्मोक का खून तुर्की से अमेरिका भेजा गया। स्मोक को विमान में यात्रा करनी पड़ी जिसके बाद वो फ्रैंकफर्ट होते हुए न्यूयॉर्क पहुंचे जहां उन्हें कई दिन अकेले में बिताने पड़े जिसका खर्चा काफी अधिक था।
फॉल्सम कहते हैं कि कई लोग स्मोक को लाने में हुए खर्चे की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन स्मोक ने मरीन सैनिकों से जो दोस्ती निभाई उसे देखते हुए इतने पैसे खर्च करना बुरा नहीं रहा। स्मोक को लाने का पूरा खर्चा दान के जरिए पूरा किया गया है।
फॉल्सम कहते हैं, ‘मैंने इसी शनिवार इतने दिनों बाद स्मोक को देखा। जल्दी ही स्मोक ओमाहा में अपने घर चला जाएगा। अभी वो बाल्टीमोर के रास्ते ओमाहा जा रहा है जहां वो अपने कई फैन्स से मिलेगा। अब इसमें कोई शक नहीं वो एक अमेरिकी गधा है।’