ट्रेड शो और व्यापारिक प्रदर्शनियों के दौरान उत्पाद के प्रचार के लिए कमसिन बूथ बालाओं के बदन की नुमाइश का चलन पुराना है। कुछ लोग यह मानते हैं कि यह तरीका काम करता है।
साल 2013 की शुरुआत में आयोजित हुए एक ट्रेड शो में एक हार्ड ड्राइव उत्पादक ने प्रचार के लिए चार महिला मॉडलों की सेवा ली थी। हार्ड ड्राइव की खूबियां बताने वाली इन महिला मॉडल्स ने शो के दौरान महज बिकनी पहन रखी थी।
पत्रकारों के संगठन फोर्ब्स जर्नलिस्ट ने इसकी शिकायत की और इस पर रोक लगाए जाने की मांग भी की है।
इस घटना के बाद ‘दि कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक शो’ (सीईएस) के आयोजकों ने स्टॉल पर दिखने वाली ‘कमसिन बूथ बालाओं’ के लिबास को लेकर दिशा निर्देश जारी करने की बात कही है।
सीईएस अमेरिका में टेक्नॉलॉजी क्षेत्र की कंपनियों के गैर सरकारी संगठन ‘अमेरिकी कंज्यूमर इलेक्टॉनिक एशोसिएशन’ (सीईए) की ओर से आयोजित किया जाता है। हालांकि ड्रेस कोड जैसी किसी बात से सीईएस के आयोजक भी इनकार करते हैं।
ड्रेस कोड पर बहस : उत्पाद के प्रचार के लिए कमसिन बूथ बालाओं के इस्तेमाल का विरोध कर रहे लोगों का यह कहना है कि कामुकता भड़काने वाले उनके लिबास पर रोक लगाई जाए।
इस पर शो के आयोजन से जुड़े लोग कहते हैं कि इसे रोक पाना मुश्किल है। हालांकि इंग्लैंड में यूरोगेमर एक्सपो ने अपने शो के दौरान इसी तरह की बंदिशें लगाई थीं। इसके अलावा शंघाई और लास वेगास में भी कुछ व्यापार मेलों में अर्धनग्न मॉडलों पर भी रोक लगाई गई थी।
हाल ही में सीईए के अध्यक्ष गेरी शैपरियो ने अपने संगठन के विचार के उलट बीबीसी को कहा था कि हालांकि ‘यह चलन पुराना है लेकिन यह काम करता है’। साल 2012 के इस साक्षात्कार में गैरी का कहना था कि इस मुद्दे पर सीईए की राय ‘मायने नहीं’ रखती।
'तालिबानी प्रतिबंध' : हाल ही में सीईए ने इस बात की पुष्टि की है कि साल 2014 के लिए जारी किए गए दिशा निर्देशों में संशोधन किए जाएंगे। सीईए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैरेन चुप्का ने संकेत दिया था कि ऐसी रोक गैरजरूरी थी।
उन्होंने बीबीसी से कहा, 'हम मनमाने तरीके से कोई रोक नहीं लगाना चाहते हैं या ऐसे नियम भी नहीं बनाना चाहते जिन्हें लागू करना मुश्किल हो या शो के दौरान बदन की नुमाइश पर कोई तालिबानी फरमान सुना दें।'
कैरेन कहती हैं, 'यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी कुचलने जैसा होगा।'
उन्होंने कहा, 'हमें यह भी समझना होगा कि शो में भाग लेने वाली कंपनियों को अपने फैसले लेने का हक है कि वह जिस तरह से चाहें और ठीक समझे, अपने उत्पाद का प्रचार कर सकें।'