अध्ययन रिपोर्ट कहती है कि इस ग्लास-पॉलिमर हाइब्रिड पदार्थ की मोटाई 50 माइक्रोमीटर है, जो एल्युमिनियम से थोड़ा ही ज्यादा मोटा है। इसके जरिए सूरज की रोशनी से गर्म होने वाली सतह को ठंडा किया जा सकता है। इसे बहुत कम लागत में तैयार किया जा सकता है और इसके लिए बिजली की भी जरूरत नहीं होगी।
शोधकर्ता और यूनिवर्सिटी ऑफ कॉलराडो में एसोसिएट प्रोफेसर शियाओबो ईन का कहना है, "हमें महसूस होता है कि बेहद कम खर्च वाली मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया के जरिए इस रेडिएक्टिव कूलिंग टेक्नॉलजी से आम इस्तेमाल की चीजें बनाई जा सकती हैं।" इस पदार्थ के जरिए न सिर्फ इमारतों और अन्य चीजों को ठंडा रखने में मदद मिल सकती है बल्कि इससे सोलर पैनल की उम्र भी बढ़ाई जा सकती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ व्योमिंग्स में डिपार्टमेंट ऑफ सिविल एंड आर्किटेक्चरल इंजीनियरिंग में एसोसिएट प्रोफेसर गांग टान कहते हैं, "छत के ऊपर 10 से 20 वर्ग मीटर की जगह में इस पदार्थ को लगाने से घर में इतनी ठंडक हो जाएगी कि गर्मियों में एक परिवार उसमें आराम से रह सके।" यह इतना हल्का है कि घुमावदार जगहों पर भी इसे आसानी से लगाया जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पदार्थ अभी बाजार में नहीं आया है। लेकिन बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन करना बहुत आसान होगा।