कौन हैं अल्ताफ़ हुसैन
हुसैन लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं। 1992 से ही वे लंदन से अपनी पार्टी का संचालन कर रहे हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान लौटने पर उनकी जिंदगी को ख़तरा हो सकता है। उनका पाकिस्तान में ऐसा असर है कि लंदन में बैठे हुए कराची की बड़ी-बड़ी रैलियों को लाउडस्पीकर से जुड़े टेलीफ़ोन कॉन्फ्रेंस के ज़रिए संबोधित करते रहे हैं।
कभी-कभी तो ये संबोधन चार घंटे से भी लंबा होता था। एमक्यूएम में सबसे ज़्यादा संख्या मोहाजिरों की है। मोहाजिर उन उर्दू-भाषी मुसलमान को पुकारा जाता है, जो विभाजन के समय साल 1947 में भारत से पाकिस्तान आकर बस गए थे।
इंटरनेट पर उनके चाहने वाले उन्हें मध्यम वर्ग और दबे-कुचलों के अधिकारों के लिए सामंतवाद के ख़िलाफ़ लड़ने वाला एक निडर और अथक ऊर्जा से भरा योद्धा पुकारते हैं। तो ऑनलाइन आलोचकों का उन पर ये आरोप है कि वे एक ऐसा चरमपंथी संगठन चलाते हैं जो कराची में हाल के वर्षों में हुए अधिकतर हिंसा और अपराधों के लिए ज़िम्मेदार है।