जी हां, हमारे पूर्वज आदमखोर थे !

मंगलवार, 21 अप्रैल 2015 (12:18 IST)
- मेलिस्सा होगनबूम बीबीसी अर्थ
 
क्या हमारे पूर्वज नरभक्षी थे, आदमखोर थे? इसको लेकर अब तक कोई आम राय नहीं थी। लेकिन अब शक की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि इस बात के पुख्ता सबूत मिले गए हैं कि इंसानों के पूर्वज नरभक्षी थे।
 
एक नामचीन पुरातात्विक स्थल पर इंसानी शरीर के कटे और खाए हुए अवेशष मिले हैं। ये अवशेष सॉमरसेट की गफ केव में पाए गए हैं। यहां पर आखिरी बार 1992 में खुदाई हुई थी। हालांकि शोधकर्ता अभी तक यहां से मिली इंसानी हड्डियों के अवशेषों का अध्ययन कर रहे हैं।
 
15,000 साल पुराने अवशेष : इन अवशेषों के रेडियोकॉर्बन अध्ययन के मुताबिक गुफा के अंदर इंसानों और जानवरों के अवशेष करीब 15 हजार साल पुराने हैं।
 
लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम की सिल्विया बेलो के मुताबिक नए नतीजे बेहद अहम हैं। सिल्विया कहती है, 'हमें इंसानी शरीर के काटे जाने, चबाए जाने, नोचे जाने, हड्डियों के कुचले जाने और तोड़े जाने के पक्के सबूत मिले हैं।' अगर इतने सबूत काफी नहीं हों, तो इन अवशेषों पर इंसानी दांतों के निशान भी मिले हैं।
 
नरभक्षी होना आम बात : इन सबूतों से यह स्पष्ट होता है कि हमारे पूर्वजों के लिए आदमखोर होना या नरभक्षी होना एक सामान्य बात थी। मानव मस्तिष्कों के साथ भी छेड़छाड़ किए जाने के सबूत मिले हैं।
 
इस रिपोर्ट के सह-लेखक और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के सिमोन पारफिट कहते हैं, 'उस दौर में इंसानों के अंतिम संस्कार किए जाने के उदाहरण कम ही हैं, यही वजह है कि हमें कई पुरातात्विक साइटों से इंसानी जीवाश्म मिले हैं।'
 
इन जीवाश्मों के अध्ययन से शोधकर्ता अब ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि उस दौर में इंसानों का नरभक्षी होना कितना आम था और यह बर्ताव कहां-कहां तक फैला हुआ था।
 
ये भी पता लगाने की कोशिश हो रही है कि क्या मनुष्यों की चीर-फाड़ मौत के बाद उनके शरीर के साथ किए जाने वाले कर्मकांड का हिस्सा थी।

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