Australia vs India: चोटिल खिलाड़ियों के दम पर ब्रिसबेन का जंग जीत पाएगी टीम इंडिया?

BBC Hindi

गुरुवार, 14 जनवरी 2021 (08:04 IST)
आदेश कुमार गुप्त, खेल पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए
सिडनी टेस्ट मैच में इतना सब कुछ हुआ कि उसके बाद अब भारतीय टीम का जो हाल है वह किसी रोमांचक फ़िल्म से कम नहीं है, जिसमें दर्शक आख़िरी सीन तक अपनी सीट से चिपक कर बैठे रहते हैं।
 
टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में ऐसे गिने चुने ही अवसर आए हैं जब किसी टीम ने चौथी पारी में सौ से ज़्यादा ओवर बल्लेबाज़ी करते हुए मैच को ड्रॉ कराया हो, वह भी तब जब टीम के अधिकतर खिलाड़ी चोटिल हों और उनके पास बल्लेबाज़ी करने का बहुत अधिक अनुभव भी ना हो। सिडनी में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में भारत ने 407 रनों के लक्ष्य के सामने 131 ओवर बल्लेबाज़ी कर पाँच विकेट पर 334 रन बनाए और मैच को ड्रॉ करा लिया।
 
हनुमा विहारी और आर अश्विन ने पैट कमिंस, जोश हैज़लवुड और मिचेल स्टार्क जैसे तेज़ गेंदबाज़ों की तिकड़ी की शॉर्ट पिच और बाउंसर गेंदों का बख़ूबी सामना किया।
 
रविचंद्रन अश्विन की कमर में दर्द था क्योंकि वह इस सिरीज़ में अभी तक 134 से अधिक ओवर कर चुके हैं तो हनुमा विहारी दौड़कर रन भी नहीं ले सकते थे क्योंकि वह हैमस्ट्रिंग में चोट से परेशान थे। ऋषभ पंत भी कलाई के दर्द से दो चार थे।
 
इस टेस्ट मैच की तुलना किसी दूसरे टेस्ट मैच से नहीं की जा सकती, लेकिन शरीर पर लगातार गेंदों के वार झेलते बल्लेबाज़ों को देखकर साल 1976 में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ सबीना पार्क किंग्सटन जमैका में खेले गए चौथे टेस्ट मैच की याद ज़रूर आ गई।
 
किसी भी टेस्ट मैच में एकाध खिलाड़ी को चोट लगना या बाउंसर लगना आम बात है लेकिन वहॉ तो माइकल होल्डिंग, वॉयने डेनियल, बर्नाड जूलियन, वैनबर्न होल्डर की चौकड़ी ने अपनी बाउंसर और बीमर के दम पर भारत की पहली पारी में ही अंशुमान गायकवाड़ और बृजेश पटेल को ऐसा घायल किया कि वह रिटायर्ड हर्ट हो गए। अंशुमान गायकवाड़ के बाएँ कान पर गेंद लगी, वह लहूलुहान होकर विकेट पर गिर पड़े। बृजेश पटेल के मुंह पर होल्डर का बाउंसर लगा। दोनों बल्लेबाज़ दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी करने नहीं उतरे।
 
उस मैच को याद करते हुए भारत के पूर्व विकेटकीपर सैय्यद किरमानी ने बताया था कि गायकवाड़ पर हर ओवर में तीन बाउंसर, सुनील गावस्कर पर हर ओवर में चार बाउंसर और एक बीमर गेंद की जा रही थी जो सीधे शरीर के निशाने पर होती है। साथ में दर्शक भी चिल्ला रहे थे-'किल हिम! इन्हें मार डालो। इनके सिर पर मारो। जब भी किसी बल्लेबाज़ को चोट लगती दर्शक बीयर केन के साथ उछलते और ख़ुशी मनाते।'
 
पहली पारी में तेज़ गेंदों का क़हर ऐसा भारतीय बल्लेबाज़ों पर टूटा कि गुंडप्पा विश्वनाथ अपनी टूटी अंगुली के साथ दूसरी पारी में खेलने नहीं उतरे। वेंगसरकर ने बड़ी दिलेरी से अपने सीने पर गेंदों को सहा। गायकवाड़, विश्वनाथ और ब्रजेश पटेल के ना खेलने से दूसरी पारी में आलम यह हुआ कि मदन लाल अपने टेस्ट करियर में पहली और अंतिम बार नंबर चार पर बल्लेबाज़ी करने उतरे।
 
मोहिन्दर अमरनाथ ने भी शरीर पर लगती गेंदों के बीच अपने जीवट का परिचय दिया लेकिन जब भारत का स्कोर पाँच विकेट पर 97 रन था तभी कप्तान बिशन सिंह बेदी ने पारी समाप्ति की घोषणा कर दी। बिशन सिंह बेदी अपने खिलाड़ियों को और अधिक ख़ून में नहाते नहीं देखना चाहते थे। बाद में वेस्टइंडीज़ ने जीत के लिए केवल 13 रन का लक्ष्य बिना किसी नुक़सान के हासिल कर लिया।
 
इसके बाद दशकों तक क्लाइव लॉयड ने अपने तेज़ गेंदबाज़ों के दम पर विश्व क्रिकेट पर राज किया। जमैका और सिडनी में हालात एक जैसे ही थे।
 
दर्शकों की नस्लीय टिप्पणी, ऑस्ट्रेलियाई कप्तान टिम पेन का ख़राब बर्ताव और चोटिल भारतीय खिलाड़ी। रविंद्र जडेजा टूटे अंगूठे के साथ पैवेलियन में बैठे देख रहे थे कि कैसे चेतेश्वर पुजारा और अश्विन की पसलियों पर गेंद लगी। एक बार तो अश्विन के चोटिल होने पर डॉक्टर भी मैदान पर आए और खेल थोड़ी देर के लिए रूका।
 
अब सिडनी तो इतिहास बन चुका है और उससे आगे बढ़कर ब्रिस्बेन में शुक्रवार से शुरू होने जा रहे चौथे और आख़िरी टेस्ट पर निगाह रखना ज़रूरी है जहां निर्णायक जंग है। दोनों टीमें एक-एक से बराबरी पर हैं।
 
ऑस्ट्रेलियाई टीम ज़ख़्मी शेर है तो भारतीय टीम घायल और चोटिल खिलाड़ियों का अड्डा। मनोबल बढ़ाकर खिलाड़ी खेल सकता है लेकिन जब शरीर ही चोटिल हो तो क्या करे।
 
रविंद्र जडेजा जैसा बेहतरीन ऑलराउंडर बाएँ हाथ के अंगूठे में चोट लगने से बाहर हो चुके हैं। हनुमा विहारी हैमस्ट्रिंग में चोट के कारण ब्रिस्बेन और इंग्लैंड के ख़िलाफ़ होने वाली सिरीज़ में नहीं खेलेंगे।
 
आर अश्विन की पीठ में जकड़न है। अश्विन की चोट की गंभीरता को समझाते हुए उनकी पत्नी प्रीति ने ट्वीट किया कि वह पिछली रात सोने गए तो उनकी पीठ में खिंचाव था और असहनीय दर्द हो रहा था, यहां तक कि सीधे खड़े होने के अलावा जूते के फ़ीते भी नहीं बांध पा रहे थे।
 
पंत की कलाई में भी अभी तक दर्द है। रही सही कसर भारतीय टीम के स्टार तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह की चोट ने पूरी कर दी।
 
ख़बर है कि भारतीय टीम प्रबंधन ने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला को देखते हुए बुमराह को ब्रिस्बेन में आराम देने का फ़ैसला किया है। उनसे पहले उमेश यादव फ़ील्डिंग करते हुए घायल हो गए।
 
मोहम्मद शमी एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट मैच में पैट कमिंस की गेंद पर कलाई में फ़्रैक्चर करवा बैठे।
 
यानी तीन टेस्ट मैच के बाद ही आधी से ज़्यादा टीम डॉक्टरों की देखभाल में हैं और कुछ खिलाड़ी बेंगलुरु में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में रिहैबिलिटेशन भी पहुँच गए हैं जहां से रोहित शर्मा ठीक होकर वापस टीम में लौटे हैं।
 
इससे पहले केएल राहुल नेट प्रैक्टिस करते हुए मेलबोर्न में कलाई की चोट का शिकार हो गए और वापस भारत लौट गए।
 
अब टीम की हालत यह है कि तेज़ गेंदबाज़ी में भारत के पास मोहम्मद सिराज के पास दो, नवदीप सैनी और शार्दुल ठाकुर के पास एक-एक टेस्ट मैच का अनुभव है तो टी नटराजन को अभी मौक़ा मिलना बाक़ी है।
 
ब्रिस्बेन में भारत के अंतिम ग्यारह कौन हों और क्यों इतना चोट खा रहे हैं खिलाडी, और चोट से कैसे बचें ख़ासकर तेज़ गेंदबाज़?
 
इस सवालों के जवाब में पूर्व क्रिकेट, चयनकर्ता और राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी से जुड़े रहे अशोक मल्होत्रा मानते हैं कि जिस तरह से एक के बाद एक भारतीय खिलाड़ी चोटिल हुए हैं उससे टीम का ड्रेसिंग रूम अस्पताल का कमरा बन गया है। यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कप्तान अजिंक्य रहाणे और कोच किस तरह भारतीय टीम को सजाते संवारते हैं?
 
अंतिम ग्यारह की टीम को लेकर अशोक मल्होत्रा ने कहा, "रोहित शर्मा और शुभमन गिल ने अच्छी शुरूआत दी है। चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे फ़िट हैं, मयंक अग्रवाल को मध्यम क्रम में उतारा जा सकता है, बुमराह की ग़ैर-मौजूदगी में मोहम्मद सिराज, शार्दूल ठाकुर, नवदीप सैनी और टी नटराजन यानि चारों तेज़ गेंदबाज़ खेल सकते हैं। अगर आर अश्विन नहीं खेलते तो कुलदीप यादव के साथ खेलना पड़ेगा।"
 
क्या ऋषभ पंत विकेटकीपिंग कर सकेंगे और क्या रिद्धिमान साहा मैदान में उतरेंगे? इस सवाल के जवाब में अशोक मल्होत्रा ने कहा, "यह टीम मैनेजमेंट को सोचना है। लेकिन मेरे ख्याल से ब्रिस्बेन में ऋषभ पंत से ही विकेटकीपिंग कराना ठीक है क्योंकि वहां तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ विकेट से दूर खड़े होना है।"
 
रिद्धिमान साहा और ऋषभ पंत दोनों के साथ खेलने को लेकर अशोक मल्होत्रा मानते हैं कि ऐसा भी हो सकता है। टीम मयंक अग्रवाल और साहा के साथ खेल सकती है। साहा की बल्लेबाज़ी पर सवाल नहीं है क्योंकि उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में तीन शतक है। पंत के भी रहने से बल्लेबाज़ी को मज़बूती मिलेगी।
 
तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण कमज़ोर पड़ने को लेकर अशोक मल्होत्रा कहते हैं कि अगर इशांत शर्मा, मोहम्मद शमी, उमेश यादव, जसप्रीत बुमराह जैसे चार फ़्रंट लाइन गेंदबाज़ चोटिल हों और अब भरोसा उस बेंच स्ट्रेंथ पर किया जा रहा है जिनके पास अनुभव नहीं है तो चिंताए तो बढ़ेंगी ही।
 
खिलाड़ियों के चोटिल होने की वजहों पर अशोक मल्होत्रा मानते है कि आईपीएल खेलने के बाद खिलाड़ी सीधे ऑस्ट्रेलिया चले गए और उन्हें आराम नहीं मिला। बुमराह तो सारे मैच खेल रहे हैं। ट्वेंटी ट्वेंटी क्रिकेट से लेकर एकदिवसीय और टेस्ट क्रिकेट जहां एक मैच में पचास पचास ओवर। आख़िरकार यह इंसान का शरीर है जिसके चोटिल होने की आशंका रहती है।
 
अश्विन जैसे स्पिनर की चोट को लेकर अशोक मल्होत्रा कहते हैं कि हो सकता है उन्हें पुरानी चोट हो। स्पिनर से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती। जडेजा का अंगूठा तो तेज़ गेंद लगने से टूटा। अश्विन की पीठ में दर्द ज़रूर है लेकिन जिस अंदाज़ में उन्होंने सिडनी में बल्लेबाज़ी की उससे उम्मीद है कि वह ब्रिस्बेन में खेलेंगे।
 
एनसीए में चोटिल खिलाड़ियों की देखभाल को लेकर अशोक मल्होत्रा कहते हैं कि इतिहास बताता है कि वहॉ के फ़िज़ियो ज़्यादा कामयाब नहीं हैं।
 
तेज़ गेंदबाज़ों को फ़िट रखने में आती मुश्किलों को लेकर अशोक मल्होत्रा कहते हैं कि आजकल की क्रिकेट में अगर पंद्रह खिलाड़ी हैं तो इतना ही सहयोगी स्टाफ़ भी है। यह सहयोगी स्टाफ़ की ही ज़िम्मेदारी है कि वह कैसे उन्हें फ़िट और तरो-ताज़ा रखे। मैच समाप्त होते ही वह उन्हें अगले मैच या दिन के लिए तैयार करता है। ऐसी सुविधा पहले तो नहीं थी। अब तक तो पंद्रह कैच भी खिलाड़ी छोड़ चुके हैं जिसकी ज़िम्मेदारी फ़िल्डिंग कोच की है। अब फ़िज़ियो से पूछा जाना चाहिए कि खिलाड़ी फ़िट क्यों नहीं है?
 
ब्रिस्बेन के नतीजे को लेकर अशोक मल्होत्रा कहते हैं, "पलड़ा तो निश्चित रूप से ऑस्ट्रेलिया का भारी है। ब्रिस्बेन का इतिहास ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में है, ऊपर से भारतीय टीम चोटिल होकर लाचार सी लग रही है। यह सच है कि कप्तान अजिंक्य रहाणे ने उनमें जोश भरा है लेकिन चोटिल होकर खिलाड़ियों का टीम से बाहर होना मनोबल और आत्मविश्वास को गिराता है।"
 
वैसे रहाणे की कप्तानी में भारत ने अभी तक चार टेस्ट मैच खेले हैं जिनमें तीन जीत और एक ड्रॉ शामिल है। कहीं यह रिकॉर्ड और पिछली बार मिली पहली ऐतिहासिक टेस्ट जीत ख़तरे में तो नहीं है। गाबा में दोनों दांव पर है।

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