भारतीय जनता पार्टी ने भारत प्रशासित कश्मीर की श्रीनगर लोकसभा सीट से शेख़ ख़ालिद जहांगीर को टिकट दिया है। जहांगीर ने अपने स्तर पर स्थानीय मतदाताओं को रिझाने के लिए चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है। लेकिन, इस लोकसभा सीट पर बीजेपी के चुनाव प्रचार ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह से लेकर तमाम राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
बीजेपी ने स्थानीय अख़बारों में दिए विज्ञापनों में भगवा रंग की जगह हरे रंग को शामिल किया है। ये पहला मौका है जब बीजेपी ने अपने पारंपरिक भगवा रंग की जगह चुनावी विज्ञापनों में हरे रंग का इस्तेमाल किया है। कश्मीर के आम लोगों के बीच ख़ासे लोकप्रिय अख़बार 'ग्रेटर कश्मीर' और 'कश्मीर उज़मा' में छपे इस विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर सबसे ऊपर है।
इसके साथ ही बीजेपी का नाम भी हरे रंग में लिखा हुआ है। हालांकि, बीजेपी का चुनाव चिह्न कमल का फूल सफेद रंग में है। इसके अलावा विज्ञापन में उर्दू भाषा में लिखा है- 'झूठ छोड़िए, सच बोलिए' और 'बीजेपी को वोट दें'। बीजेपी नेताओं ने भी कहना शुरू कर दिया है कि कश्मीर में बीजेपी ने जीत दर्ज करना शुरु कर दिया है और तभी पार्टी ने कश्मीर में हरे रंग का इस्तेमाल करना शुरू किया है।
हरे रंग की वजह
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के प्रवक्ता अल्ताफ़ ठाकुर ने बीबीसी से कहा, "इसमें आश्चर्यचकित होने की कोई बात नहीं है। अगर आपने बीजेपी का झंडा देखा हो तो आपने नोटिस किया होगा कि हमारे झंडे में हरा रंग भी है। बीजेपी के झंडे में भगवा और हरा रंग दोनों हैं।"
"हरा रंग शांति और विकास का प्रतीक है। आपने हाल ही में देखा होगा कि स्थानीय निकायों के चुनावों में बीजेपी ने अपनी जीत दर्ज की है। इसका मतलब ये है कि कश्मीर के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में बीजेपी को स्वीकार्यता मिल रही है।"
वो कहते हैं, "कश्मीर में बीजेपी के झंडे में हरा रंग गायब था। लेकिन अब आप देख रहे होंगे कि जब भी कोई नई परियोजना शुरू होती है तो हरा रंग उसमें जोड़ा जाता है। और बीजेपी रंगों में विश्वास करने वाली पार्टी नहीं है। हम सबका साथ-सबका विकास की भावना में यकीन रखते हैं।"
बीबीसी ने ठाकुर के साथ बातचीत में पूछा कि क्या हरे रंग का इस्तेमाल करके स्थानीय लोगों को रिझाने की कोशिश की जा रही है। इस सवाल के जवाब में ठाकुर ने कहा, "नहीं, इसका मतलब यह नहीं है। आपने पीडीपी का झंडा देखा होगा। वह पूरा हरा है। और नेशनल कॉन्फ्रेंस का झंडा लाल है। केवल बीजेपी का झंडा ऐसा है जिसमें सभी धर्मों के रंगों को जगह दी गई है। मैं एक बार फिर से कहना चाहूंगा कि हरा रंग जीत का प्रतीक है और इसलिए इस रंग को जोड़ा गया है। अब हमारी जीत को कोई नहीं रोक सकता।"
Sir , Rang Chodo , Insaan Dekho ,
Aap ka Khalid , wish me luck
Thank you
Allah bless you ! https://t.co/8E6h0QTR6I
— Sheikh Khalid Jehangir (@sheikhkhalid) April 4, 2019
उमर अब्दुल्लाह ने उठाये थे सवाल
जम्मू-कश्मीर बीजेपी इकाई के एक महासचिव आशिक कौल से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के लिए रंगों का महत्व ज़्यादा नहीं है। वह कहते हैं, "जब उमर अब्दुल्लाह ने इस मुद्दे पर ट्वीट किया था तो ख़ालिद जहांगीर ने ट्विटर के माध्यम से ही इस बात का जवाब दिया था। दूसरी बात ये है कि उन्होंने हरा झंडा नहीं उठाया है बल्कि अपने पोस्टरों में हरे रंग को जगह दी है। ऐसे में रंग हमारे लिए ज़्यादा अहमियत नहीं रखते हैं।"
जब बीजेपी के परंपरागत रंग भगवा के बारे में कौल से पूछा गया तो उन्होंने कहा, "बीजेपी का कोई भी परंपरागत रंग नहीं है। बीजेपी सबका साथ-सबका विकास के नारे के साथ खड़ी है।"
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कान्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्लाह ने अपने ट्विटर हैंडल से इस मुद्दे पर लिखा है, "कश्मीर पहुंचने पर बीजेपी का भगवा रंग हरा हो जाता है। मुझे नहीं पता कि ये पार्टी सच में मानती है कि ये मतदाताओं को बेवकूफ़ बना सकती है जबकि ये इस तरह खुद का मज़ाक उड़ा रही है। वो घाटी में चुनाव प्रचार करते हुए अपने असली रंग क्यों नहीं दिखा सकती।" उमर अब्दुल्लाह के ट्वीट के जवाब में खालिद जहांगीर ने लिखा, "रंग छोड़िए, इंसान को देखिए।"
'हरे रंग से लुभाने की कोशिश'
वहीं, राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि रंगों को बदलकर बीजेपी कश्मीर में स्थानीय लोगों को रिझाना चाहती है क्योंकि कश्मीर की राजनीति में हरे रंग ने हमेशा ही एक भावनात्मक भूमिका अदा की है और इसका सीधा संबंध धर्म और इस्लाम से है। वरिष्ठ पत्रकार हारून रहसी कहते हैं, "रंग में बदलाव करने का फ़ैसला उम्मीदवार खुद भी ले सकता है। उन्होंने ये सोचा होगा कि वह अपने पोस्टरों में हरे रंग का इस्तेमाल करके मतदाताओं को लुभा सकते हैं।"
वो कहते हैं, "मतदाता काफ़ी मासूम होते हैं और ये चीज़ें काम करती हैं। कश्मीर में हरा रंग राजनीतिक पार्टियों के लिए हमेशा फायदे का सौदा रहा है। सांकेतिक आधार पर हरे रंग को पाकिस्तानी झंडे के रूप में देखा जा रहा है और राजनेताओं ने हमेशा ही इस रंग का इस्तेमाल किया है। ये उसी तरह है जैसे बीजेपी के भगवा रंग को हिंदू रंग के रूप में देखा जाता है। इसी तरह हरे रंग को इस्लामी रंग की तरह देखा जाता है।
बीबीसी ने ख़ालिद जहांगीर से बात करके उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।