कोरोनावायरस संक्रमण से जुड़ी ख़ुशख़बरी, जानिए क्या होगा असर
मंगलवार, 18 अगस्त 2020 (12:29 IST)
संक्रामक रोगों के एक प्रमुख विशेषज्ञ का कहना है कि यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस में जो म्यूटेशन (वायरस के जीन में बदलाव) देखा जा रहा है, वो अधिक संक्रामक हो सकते हैं, लेकिन वो कम जानलेवा मालूम पड़ते हैं।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर के वरिष्ठ चिकित्सक और इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ इन्फ़ेक्शस डिज़ीज़ के नव-निर्वाचित अध्यक्ष पॉल टैम्बिया ने कहा, "सुबूत बताते हैं कि दुनिया के कुछ इलाक़ों में कोरोना के D614G म्यूटेशन (वायरस के जीन में बदलाव) के फैलाव के बाद वहां मौत की दर में कमी देखी गई, इससे पता चलता है कि वो कम घातक हैं।"
डॉक्टर टैम्बिया ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि वायरस का ज़्यादा संक्रामक लेकिन कम घातक होना अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि ज़्यादातर वायरस जैसे-जैसे म्यूटेट करते हैं यानी कि उनके जीन में बदलाव आता है, वैसे-वैसे वो कम घातक होते जाते हैं।
उनका कहना था, "ये वायरस के हित में होता है कि वो अधिक से अधिक लोगों को संक्रमित करे लेकिन उन्हें मारे नहीं क्योंकि वायरस भोजन और आसरे के लिए लोगों पर ही निर्भर करता है।"
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि वैज्ञानिकों ने फ़रवरी में ही इस बात की खोज कर ली थी कि कोरोना वायरस में म्यूटेशन हो रहा है और वो यूरोप और अमरीका में फैल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का ये भी कहना था कि इस बात के कोई सुबूत नहीं हैं कि वायरस में बदलाव के बाद वो और घातक हो गया है।
रविवार को मलेशिया के स्वास्थ्य विभाग के डीजी नूर हिशाम अब्दुल्लाह ने हाल के दो हॉट-स्पॉट में कोरोना वायरस के D614G म्यूटेशन पाए जाने के बाद लोगों से और अधिक सतर्क रहने का आग्रह किया।
सिंगापुर के विज्ञान, टेक्नॉलजी और शोध संस्थान के सेबास्टियन मॉरर-स्ट्रोह ने कहा कि कोरोना वायरस का ये रूप सिंगापुर में पाया गया है लेकिन वायरस की रोक-थाम के लिए उठाए गए क़दमों के कारण वो बड़े पैमाने पर फैलने में नाकाम रहा है।
मलेशिया के नूर हिशाम ने कहा कि कोरोना का D614G वर्जन जो वहां पाया गया था वो 10 गुना ज़्यादा संक्रामक था और अभी जो वैक्सीन विकसित की जा रही है हो सकता है वो कोरोना वायरस के इस वर्जन(D614G) के लिए उतनी प्रभावी ना हो।
लेकिन टैम्बिया और मॉरर-स्ट्रोह ने कहा कि म्यूटेशन के कारण कोरोना वायरस में इतना बदलाव नहीं होगा कि उसकी जो वैक्सीन बनाई जा रही है उसका असर कम हो जाएगा।
मॉरर-स्ट्रोह ने कहा, "वायरस में बदलाव तक़रीबन एक जैसे हैं और उन्होंने वो जगह नहीं बदली है जो कि आम तौर पर हमारा इम्युन सिस्टम पहचानता है, इसलिए कोरोना की जो वैक्सीन विकसित की जा रही है, उसमें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा।"