ईरान के प्रदर्शनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की इतनी दिलचस्पी क्यों?
मंगलवार, 2 जनवरी 2018 (12:45 IST)
ईरान के कई शहरों में लोग ख़राब आर्थिक हालात, भ्रष्टाचार और व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकारी मीडिया के मुताबिक इन प्रदर्शनों में अब तक दस लोग मारे जा चुके हैं।
राष्ट्रपति हसन रूहानी ने प्रदर्शनकारियों से सख़्ती से निबटने की चेतावनी दी है। ताक़वतर ईरानी बलों रिवॉल्यूश्नरी गार्ड ने भी सख़्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। इस सबके बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप रह-रहकर ईरान के हालातों पर ट्वीट कर रहे हैं।
31 दिसंबर को किए इस ट्वीट में ट्रंप में कहा, "पूरी दुनिया ये समझती है कि ईरान के अच्छे लोग बदलाव चाहते हैं और अमेरिका की अथाह सैन्य शक्ति के अलावा ईरान के नेता ईरान के लोगों से ही सबसे ज़्यादा डरते हैं।"
इसके कुछ ही घंटे बाद किए गए एक और ट्वीट में ट्रंप ने कहा, "ईरान में बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं। अंततः लोग समझदार हो रहे हैं और समझ रहे हैं कि किस तरह उनके पैसे को लूटा जा रहा है और आतंकवाद पर लुटाया जा रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे वो ज़्यादा दिनों तक ये सब बर्दाश्त नहीं करेंगे। अमरीका मानवाधिकारों के उल्लंघन पर बहुत बारीक़ी से नज़र रखे हुए है।"
इसके बाद किए एक ट्वीट में ट्रंप ने कहा, "ईरान, जो आतंकवाद का नंबर एक समर्थक देश है और जहां हर घंटे कई मानवाधिकार उल्लंघन हो रहे हैं, ने अब इंटरनेट बंद कर दिया है ताकि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी संवाद न कर सकें। ये अच्छा नहीं है।"
सोमवार को एक ट्वीट में ट्रंप ने कहा है, "ओबामा प्रशासन के ईरान के साथ बेहद ख़राब समझौता करने के बावजूद ईरान हर मोर्चे पर नाकाम हो रहा है। ईरान के महान लोग कई सालों से दमन में रह रहे थे। वो खाने और आज़ादी के भूखे हैं। मानवाधिकारों के अलावा ईरान की स्मृद्धि को भी लूटा जा रहा है। बदलाव का समय आ गया है।"
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ईरान में हो रहे प्रदर्शनों पर बीते दो दिनों में चार ट्वीट किए हैं। इनमें तीन बार उन्होंने मानवाधिकारों का उल्लेख किया है।
इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहे हैं ट्रंप?
पढ़िए, अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान का नज़रिया
ट्रंप की मूल प्रवृत्ति एक ट्रोल की है। वो इंटरनेट पर उकसाऊ बातें करते हैं। वो बार-बार ईरान के आतंकवाद पर पैसे ख़र्च करने की बात कर रहे हैं। ट्रंप कह रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ईरान के हालातों पर नज़र रखे हुए है।
कनाडा के विदेश विभाग ने भी ट्रंप जैसी ही बातें कूटनीतिक भाषा में बात की हैं और कहा है कि ईरान को मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। ख़ान कहते हैं कि ट्रंप का इस तरह से सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने का मुख्य उद्देश्य अमेरिका में अपने मूल वोटरों को ख़ुश करना है।
एक सुपर पॉवर होने के बावजूद अमेरिका की विदेश नीति घरेलू लोगों के लिए ही ज़्यादा होती है। हाल के दिनों में ट्रंप ने यरूशलम का विवाद भी अमेरिका में अपने समर्थक इवांजिलिकल ईसाई समुदाय को ख़ुश करने के लिए खड़ा किया था।
अमेरिका में एक नया अनपढ़ तबका पैदा हो गया है जिसमें 20-25 साल के गोरे और ग़रीब युवा हैं। इन्हें स्थानीय भाषा में व्हाइट ट्रैश कहा जाता है। ये कम पढ़े लिखे लोग अंतरराष्ट्रीय संबंधों को ज़्यादा समझते नहीं हैं। जब नेता बड़ी-बड़ी बातें करते हैं तो उन्हें अच्छा लगता है। वो उसे ही ताक़त समझते हैं। ट्रंप अंतरराष्ट्रीय मामलों पर इस तरह के बयान अपने ऐसे ही समर्थकों को ख़ुश करने के लिए देते हैं।"
ट्रंप अपने समर्थक इस तबके को आर्थिक फ़ायदा पहुंचाने के बजाए इन पर टैक्स बढ़ा रहे हैं, स्वास्थ्य सेवाओं में कटौती कर रहे हैं लेकिन उन्हें ख़ुश करने के लिए वो इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते रहते हैं। इस तबके को ख़ुश करने के लिए ही वो कभी हिलेरी पर हमला करते हैं, कभी अमेरिकी मीडिया पर हमला करते हैं, एफ़बीआई पर हमला करते हैं, ईरान और मुसलमानों को निशाने पर लेते हैं।
क्या है ईरान का जवाब?
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने डोनल्ड ट्रंप को ईरान का दुश्मन बताया है। रूहानी ने कहा, "अमेरिका में ये जो सज्जन हैं, जो आजकल हमारे देश के साथ सहानुभूति जता रहे हैं, ऐसा लगता है कि वो ये बात भूल गए हैं कि कई महीने पहले उन्होंने ही ईरान को चरमपंथी देश कहा था। लेकिन सच तो ये है कि ये आदमी सिर से लेकर पैर तक ईरान का दुश्मन है।"