रोज़मर्रा के यौन शोषण को बेनक़ाब कर रही ये फोटो पत्रकार
गुरुवार, 31 अगस्त 2017 (14:32 IST)
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में महिलाओं को अकसर छेड़छाड़ और यौन शोषण का शिकार होना पड़ता है। कुछ मर्द अक्सर उनके साथ ग़लत व्यवहार करते हैं। उन्हें घूरते हैं, उन्हें छूने की कोशिश करते हैं। महिलाएं कभी आहत होती हैं, कभी जवाब देती हैं और कभी चुप रह जाती हैं। लेकिन ऐसे अपराधियों के ख़िलाफ़ हल्ला बोला है लंदन की एक महिला फ़ोटो पत्रकार ने।
एलिजा हैच लंदन की सड़कों पर महिलाओं से मिलकर उनके अनुभव पूछती हैं। फिर उनकी तस्वीर के साथ उनकी कहानी को अपने इंस्टाग्राम और वेबसाइट 'चीयर अप लव डॉट कॉम' पर प्रकाशित कर रही हैं। 'चीयर अप लव' उनकी फोटो पत्रकारिता का मंच है, जिसमें वह महिलाओं के साथ होने वाले यौन शोषण के अनुभवों को शामिल कर रही हैं।
'रोज होते हैं ऐसे अनुभव'
एलिजा बताती हैं, "महिलाओं के साथ पब्लिक ट्रांसपोर्ट में होने वाले यौन शोषण पर फ़ोटो प्रोजेक्ट बनाने का आइडिया तब आया जब मैं अपने कुछ दोस्तों से बातें कर रही थी।" "मेरे दोस्तों ने बताया कि वे लोग रोज ऐसे अनुभवों से गुजरती हैं।"
एलिजा आगे बताती हैं कि उन्होंने अपने पुरुष मित्रों से भी इस मुद्दे पर बात की। वह कहती हैं, "मेरे पुरुष मित्र इस बात कर काफी हैरान हुए। वो हमारे अनुभवों को ख़ारिज कर रहे थे।" फ़ोटो प्रोजेक्ट के दौरान एलिजा ने पाया कि लगभग हर महिला किसी न किसी तरह से यौन शोषण की शिकार हुई हैं।
वह कहती हैं, "हर स्टोरी में मैंने यह पाया कि कैसे मर्द खुलेआम अपनी कुंठा को जाहिर करते हैं। ट्रेन और बस में एक महिला को मर्द सीधे तौर पर घूरते हैं।" "मैं यह जानकर हैरान हुई कि कम उम्र की लड़कियों को भी इस तरह के अनुभव झेलने पड़ते हैं।"
एलिजा ने जब यौन शोषण की पीड़िताओं के अनुभव इंस्टाग्राम पर शेयर करना शुरू किए तो कई लड़कियां, जो उन्हें नहीं जानती थी, उनसे जुड़ने लगीं। वह कहती हैं, "अनजान लड़कियां मेरे प्रोजेक्ट से जुड़ने लगी। वे चाहती थीं कि मैं उनकी तस्वीरें खींचूं। मैं उनसे मिली, बातें कीं और उनकी कहानियों को शेयर किया। वो सब अब हमारे विरोध प्रदर्शन की हिस्सेदार हैं।"
एलिजा समाज के इस रवैये को बदलना चाहती हैं। वह कहती हैं, "मैं यौन शोषण के प्रति लोगों के रवैये को बदलना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि लोगों को समझ आए कि उनका इस तरह का व्यवहार हमें स्वीकार नहीं है।" एलिजा चाहती हैं कि लोग अब यौन शोषण के ख़िलाफ़ खुलकर बोलना शुरू करें।