- शुरैह नियाज़ी (भोपाल से)
मध्यप्रदेश में किसी भी प्रकार की दुर्घटना के लिए निर्धारित इमरजेंसी सेवा (108) एक अलग ही तरह की मुश्किलों का सामना कर रही है। इस सेवा के लिए ये मुश्किलें आम लोग पेश कर रहे हैं जो रोज हजारों की संख्या में गलत नाम से या फर्जी फोन कॉल करते हैं। इससे इमरजेंसी सेवा में काम करने वाले कर्मचारियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
फर्जी कॉल : इस सेवा को चला रही जीवीके इमरजेंसी मैनेजमेंट और रिसर्च सेंटर के हेड आशुतोष शुक्ला ने बीबीसी को बताया, 'हमें हर रोज लगभग 29,000 हजार के करीब काल आते हैं जिनमें सिर्फ 5500 हजार ही जरूरतमंदों के होते हैं। देखने में आता है कि लोग इधर-उधर की बातें करते हैं, गाली देते हैं और कई बार तो महिला कर्मचारियों से अश्लील बातें भी की जाती है।'
जरूरतमंद : स्कूल जाने वाले बच्चे अपने परिवार के लोगों के फोन का उपयोग इस सेवा के कर्मचारियों को परेशान करने के लिए करते हैं। इस सेंटर में काम करने वाली रीना बोरकर ने बताया, '108 मुफ्त सेवा है इसलिए इस पर हर तरह के काल आते हैं और कई बार बहुत ही घटिया किस्म की कॉल भी आती है। लेकिन हम उसे हटा देते हैं। पहले हम ये जानने के लिए थोड़ा सुनते हैं कि कोई जरूरतमंद तो नहीं है और फिर फोन काट देते हैं।'
जीवीके इएमआरआई, मध्यप्रदेश सरकार के सहयोग से यह सेवा राज्य में उपलब्ध कराती है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति 108 इमरजेंसी में डायल कर सहायता के लिए बुला सकता है। सूचना मिलते ही एम्बुलेंस फौरन घटनास्थल पर भेजी जाती है। कोशिश यही होती है कि 15 मिनट के अंदर दुर्घटनास्थल पर पहुंच कर घायलों को अस्पताल तक पहुंचाया जाए।