फ़ेसबुक पर अपना डेटा कैसे सुरक्षित रखें?

बुधवार, 21 मार्च 2018 (11:12 IST)
रिसर्च फ़र्म कैम्ब्रिज एनालिटिका पर आरोप है कि उसने पांच करोड़ फ़ेसबुक यूज़र्स के डेटा का गलत इस्तेमाल किया। इस मामले के सामने आने के बाद एक बार फिर बहस छिड़ गई है कि सोशल नेटवर्क पर मौजूद जानकारी को किस तरह और किसके साथ साझा किया जाता है।
 
फ़ेसबुक के लिए डेटा, ईंधन की तरह है - ये विज्ञापनदाताओं को एक प्लेटफार्म देता है, जिसके बदले में फ़ेसबुक पैसा बनाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि फ़ेसबुक के पास अपने यूज़र्स के लाइक्स, डिसलाइक्स, लाइफस्टाइल और राजनीतिक झुकाव की विस्तृत प्रोफाइल तैयार करने की क्षमता है।
 
सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि वो दूसरों के साथ क्या साझा करता है और यूज़र अपनी जानकारी को अपने पास सुरक्षित रखने के लिए क्या कर सकते हैं?
 
हम सभी ने इस तरह के क्विज़ देखें हैं। इसमें आपके आईक्यू को टेस्ट करने की बात कही जाती है, आपके अंदरूनी व्यक्तित्व को बताने की बात कही जाती है या आपको ये दिखाने की बात कही जाती है कि आप एक एक्टर के तौर पर कैसे नज़र आएंगे?
 
कहने को ये एक फ़ेसबुक क्विज़ है पर असल मायनों में ये आपकी डिज़िटल ज़िंदगी है। इसी तरह के फेसबुक क्विज़ों से कैम्ब्रिज एनालिटिका ने करोड़ों लोगों के डेटा हासिल कर लिए। ऐसे कई क्विज़ में आपको ये भरोसा दिलाया जाता है कि आपका डेटा सुरक्षित है।
 
ऐसे गेम और क्विज़ फेसबुक यूज़र्स को लुभाने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं, लेकिन इसका असल मक़सद डेटा इकठ्ठा करना होता है। ये सभी गेम और क्विज़ फेसबुक के नियम और शर्तों के मुताबिक काम करते हैं।
 
गोपनीयता की वकालत करने वाली इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन का कहना है कि जिस तरीके से क्विज़ से लोगों का डेटा हासिल किया जाता है, वो दिखाता है कि "फेसबुक सेवाओं की शर्ते उस समय कैसी थीं।"
 
अब फ़ेसबुक ने अपने नियम और शर्तों में कुछ बदलाव किए हैं, इसमें फ़ेसबुक यूजर्स के डेटा तक थर्ड पार्टी की पहुंच सीमित हो गई है। खासकर उनका यूज़र के दोस्त के ज़रिए डेटा एक्सेस करना रोक दिया गया है।
 
हालांकि अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि संस्था के पास किस तरह की जानकारी है। ब्रिटेन की डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी जांच कर ये पता लगाने की कोशिश कर रही है।
 
यूज़र अपनी जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए क्या कर सकते हैं?
*फ़ेसबुक पर लॉग इन करें और ऐप सेटिंग पेज पर जाएं।
*एप्स, वेबसाइट्स और प्लगइन के नीचे नज़र आ रहे एडिट बटन पर क्लिक करें।
*अब प्लेटफार्म को डिसेबल कर दें।
 
ऊपर दिए गए तरीके को अपनाने के बाद आप फ़ेसबुक पर किसी थर्ड पार्टी साइट का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। अगर ये तरीका आपको पसंद नहीं आया तो ऐप इस्तेमाल करने के बावजूद अपनी निजी जानकारी तक दूसरों की पहुंच को सीमित करने का एक और तरीका है।
 
*फ़ेसबुक के ऐप सेटिंग्स पेज में लॉग इन करें।
*उस हर कैटेगरी को अनक्लिक कर दें जिसे आप ऐप को दिखाना नहीं चाहते। इसमें आपका बायो, जन्मदिन, परिवार, धार्मिक विचारधारा, आप ऑनलाइन हैं या नहीं, आपकी टाइमलाइन पर दिखने वाले पोस्ट, आपकी गतिविधियां और रुचियां शामिल हैं।
 
कुछ और सुझाव भी हैं
ईस्ट एंग्लिया स्कूल ऑफ़ लॉ विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी, बौद्धिक संपदा और मीडिया कानून पढ़ाने वाले लेक्चरर पॉल बरनल कहते हैं, "कभी भी किसी उत्पाद के सर्विस पेज के 'लाइक' बटन पर क्लिक नहीं करें और अगर आप किसी गेम या क्विज़ को खेलना चाहते हैं तो फ़ेसबुक से लॉगइन करने के बजाए सीधे उसकी साइट पर जाएं।"
 
बरनल कहते हैं, "फ़ेसबुक से लॉगइन कर ये सब करना आसान होता है, लेकिन ऐसा करके आप ऐप डेवलपर को आपकी फ़ेसबुक प्रोफाइल पर मौजूद जानकारी का एक्सेस दे देते हैं।"
 
कैसे अपने फ़ेसबुक डेटा को सुरक्षित कर सकते हैं?
डॉक्टर बरनल का मानना है कि अपने डेटा को पूरी तरह से सुरक्षित रखने का सिर्फ़ एक तरीका है और वो है कि आप "फ़ेसबुक छोड़ दें"।
 
उन्होंने बीबीसी को बताया, "फेसबुक को लोगों का डेटा प्रोटेक्ट करने के लिए प्रोत्साहित करने का एक तरीका है कि लोग फ़ेसबुक छोड़कर जाने लगें। फिलहाल फ़ेसबुक पर किसी तरह का दबाव नहीं है।"
 
ऐसा लगता है कि ऐसा सोचने वाले बरनल इकलौते नहीं हैं। कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल सामने आने के बाद फ़ेसबुक पर हैशटैग #DeleteFacebook ट्रेंड करने लगा।
 
लेकिन डॉक्टर बरनल कहते हैं कि ये मुश्किल है कि ज्यादा लोग फ़ेसबुक छोड़ेंगे। क्योंकि कई लोग फ़ेसबुक को अपनी "ज़िंदगी के एक अहम हिस्से की तरह देखते हैं।"
 
अभी के मौजूदा नियमों के मुताबिक यूजर किसी फर्म से पूछ सकता है कि उसके पास उसके बारे में कितनी जानकारी है। लेकिन सवाल ये है कि ये पूछा किससे जाए?
 
हो सकता है कि आने वाले समय में यूरोप में जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेग्युलेशन को और सख्त किया जाए।
 

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