'छात्रों की दिलचस्पी सिर्फ ड्रग्स' और सेक्स में

बुधवार, 5 अगस्त 2015 (12:22 IST)
- प्रतीक गोयल (पुणे से)
 
इंडियन फिल्म और टेलीविजन इंस्टीट्यूट या एफटीटीआई में छात्रों की हड़ताल 50 दिन से जारी है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। दूसरी तरफ प्रदर्शनकारी छात्रों पर अब हमले तेज होने लगे हैं। उन पर कई तरह के आरोप भी लगाए जा रहे हैं।
एफटीटीआई नियंत्रण परिषद की सदस्य अनघा घैसास ने कहा है, 'ये छात्र पढ़ाई से ज्यादा यहां ड्रग्स लेने और अनैतिक संबंधों में रूचि रखते हैं। इनका खुद का राजनीतिक एजेंडा है।'
 
अनघा आरएसएस की करीबी बताई जाती हैं।
 
आरएसएस पर गर्व : संस्था के छात्र जिन लोगों की नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं, उनमें गजेंद्र चौहान के अलावा अनघा घैसास, नरेंद्र पाठक, राहुल सोलपुरकर, प्रांजल सैकिया और शैलेश गुप्ता भी शामिल हैं।
 
एफटीटीआई में मेरठ के रहने वाले साउंड इंजीनियरिंग के छात्र मनीष पाल सिंह बताते हैं, 'घैसास को ही देख लीजिए, जिन्हें काल्पनिक और सत्य कहानियों में कोई अंतर नहीं पता है।'
 
नए सदस्य : अनघा घैसास ने निर्माता के रूप में नरेंद्र मोदी, नानाजी देशमुख, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और राम मंदिर पर डॉक्यूमेंट्री बनाई हैं। बीबीसी के पास मौजूद एक कोर्ट आर्डर की कॉपी के मुताबिक, निर्देशक का मेहनताना अदा नहीं करने की वजह से घैसासी कानूनी विवाद में उलझी हुई हैं।
 
कोर्ट ने कहा कि ‘उन्हें डॉक्यूमेंट्री और काल्पनिक फिल्म के बीच का फ़र्क नहीं मालूम है।’ नरेंद्र पाठक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की महाराष्ट्र इकाई के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।
 
उनके कार्यकाल के दौरान ही 2013 अगस्त में संगठन से जुड़े कुछ सदस्यों ने एफटीआईआई के छात्रों के साथ मारपीट की थी जिसे लेकर काफी विवाद हुआ था।
मारपीट : फिल्म संस्थान के छात्रों ने कबीर कला मंच के कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिस वजह से यह मारपीट हुई थी।
 
सोसाइटी के दूसरे दो सदस्य, अभिनेता प्रांजल सैकिया और मराठी फिल्म कलाकार राहुल सोलपुरकर भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं। संस्थान के पूर्व छात्र शैलेश गुप्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 'शपथ मोदी की' नाम की एक फिल्म बना चुके हैं।
 
एफटीआईआई के रजिस्ट्रार उत्तम राव बोडके का कहना है कि जनवरी 2014 में छात्रों ने शराब के नशे में उनके साथ भी बुरा बर्ताव किया था।
 
शिकायतें : बोडके के मुताबिक, दूसरे कई कर्मचारियों ने भी छात्रों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। ये सभी शिकायतें अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को भेज दी गई हैं।
गजेन्द्र चौहान ने बीबीसी से कहा, 'छात्रों को इस मुद्दे को राजनैतिक रंग नहीं देना चाहिए और हड़ताल खत्म करके अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।'
 
उन्होंने कहा, 'कला की कोई विचारधारा नहीं होती और छात्रों पर कोई भी किसी तरह की विचारधारा नहीं थोपेगा।'

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