'ये मार्स नहीं है': इंडोनेशिया में आकाश हुआ लाल

मंगलवार, 24 सितम्बर 2019 (08:08 IST)
इंडोनेशिया के जंगलों में पिछले सप्ताह लगी आग के कारण जांबी प्रांत में आकाश का रंग लाल हो गया। जंगलों में लगी आग से इंडोनेशिया का एक बड़ा हिस्सा पहले भी त्रस्त होता रहा है। जांबी प्रांत में रह रहे एक निवासी ने लाल रंग वाले आकाश की तस्वीरें लेते हुए कहा आग के धुएं से मेरी आंखों और गले में दर्द है।
 
हर साल जंगलों में लगी आग से इंडोनेशिया में धुएं की एक चादर सी बन जाती है जो पूरे दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र को आपनी चपट में ले लेती है। मौसम विज्ञान के एक विशेषज्ञ ने बीबीसी को बताया कि आकाश का ये असामान्य रंग लेना। रेले स्केटरिंग यानी प्रकाश की किरणों के बिखरने की वजह से होता है।
 
जांबी प्रांत की मेकर सारी गांव की रहने वाली 21-वर्षीय एका वूलनडारी ने खून समान लाल गगन की तस्वीरें शनिवार दोपहर को फेसबुक पर साझा की और कहा : 'उस दिन धुआं खास तौर पर ज़्यादा था'। तबसे ये तस्वीरें फेसबुक पर 34,000 बार शेयर की जा चुकी हैं।
 
उन्होंने बीबीसी इंडोनेशिया को बताया कि पहले कई लोगों ने इन तस्वीरों की वास्तविकता पर शक़ किया था कि ये सच्ची हैं या नहीं। "लेकिन ये तस्वीरें और वीडियो मैंने खुद अपने फोन से ली हैं। उन्होंने ये भी कहा कि सोमवार को धुएं की आवस्था गंभीर थी।
 
ट्विटर यूज़र ज़ूनी शोफी यतुन निसा ने भी लाल हुए आकाश का एक वीडियो साझा करते हुए लिखा : 'ये मार्स नहीं, जांबी है। हमें जीने के लिए साफ़ हवा चाहिए, धुआँ नहीं'।
 
इंडोनेशिया मौसम विज्ञान एजेंसी बीएमकेजी ने सैटेलाइट चित्रण के हवाले से बताया कि जांबी क्षेत्र के आसपास कई हॉट स्पॉट और एक मोटी धुएं की परत बनीं हुई है।
 
सिंगापोर विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान के प्रोफ़ेसर कोह टीह योंग ने रेले स्केटरिंग की प्रक्रिया को समझाते हुए कहा आकाश का रंग तब बदलता है जब धुंए में मौजूद कुछ कण प्रकाश पड़ने पर अपना रंग बदल लेते हैं। उन्होंने बीबीसी को बताया - 'धुएं में मौजूद अधिकतर कण आकार में लगभग 1 माइक्रोमीटर के होते हैं, लेकिन ये कण हमें दिखाई देने वाली रोशनी का रंग नहीं बदलते'।
 
'कुछ कण और भी छोटे होते हैं, लगभग 0।05 माइक्रोमीटर आकार के या उससे भी कम, जो धुंए में अधिक मात्रा में होते हैं (एक सामान्य गैर-धुंए की स्थिति की तुलना में)। जो आकाश में लाल रौशनी को आगे पीछे बिखेर देते हैं। और इसीलिए आप आकाश में नीले रंग की तुलना में अधिक लाल देखेंगे।'
 
वो आगे कहते हैं - 'चूंकी ये तस्वीरें दोपहर में ली गई थी जब सूर्य आपके सर के ठीक ऊपर होता है तभी आपको आकाश का रंग ज़्यादा लाल मालूम पड़ता है। पर इससे वायु का तापमान नहीं बदलता'।
 
और सालों के मुक़ाबले जंगलो में लगी आग के धुएं का कहर इस साल सबसे अधिक रहा है। इसका कारण इंडोनेशिया के शुष्क मौसम में किसानों का खुले में फसलों को जलाना है। ये प्रदाह जुलाई से अक्टूबर के बीच बढ़ जाता है। इंडोनेशिया की राष्ट्रीय आपदा एजेंसी के मुताबिक साल के पहले 8 महीनो में क़रीब 328,724 हेक्टेयर भूमि को जलाया जा चूका है।
 

Ini sore bukan malam. Ini bumi bukan planet mars. Ini jambi bukan di luar angkasa. Ini kami yang bernafas dengan paru-paru, bukannya dengan insang. Kami ini manusia butuh udara yang bersih, bukan penuh asap.
Lokasi : Kumpeh, Muaro Jambi #KabutAsap #KebakaranHutanMakinMenggila pic.twitter.com/ZwGMVhItwi

— Zuni Shofi Yatun Nisa (@zunishofiyn) September 21, 2019
हवा में फैले इस धुएं का ये एक बड़ा कारण है। इसके लिए दोष का एक हिस्सा बड़े निगमों और छोटे किसानों के हाथ आता है, जो स्लैश-एंड-बर्न पद्धति यानी काट एवं दाह कृषि का उपयोग करके ताड़ के तेल, लुगदी और कागज की खेती के लिए वनस्पति की सूखी परिस्थितियों का लाभ उठाते हैं।
 
किसानों के लिए अपनी ज़मीन साफ़ करने के लिए काट एवं दाह कृषि सबसे आसान पद्धति मानी जाती है। अगर उनकी फसल को कोई बीमारी लग गई है तो स्लैश-एंड-बर्न पद्धति से इसका निवारण भी हो जाता है।
 
हालांकि, ये आग अक्सर नियंत्रण से बाहर हो जाती है और संरक्षित वन क्षेत्रों में फैल जाती है। वैसे तो इंडोनेशिया में स्लैश-एंड-बर्न पद्धति अवैध है लेकिन ये यहाँ सालों से प्रचलित है। कुछ लोग मानते है कि इससे भ्रष्टाचार और कमज़ोर शासन को बढ़ावा मिला है।

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