दुनिया के ताक़तवर देशों में से एक जापान बच्चों में कामुकता को उकसाने की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। बारों में पुरुष स्कूली लड़कियों से मुलाक़ात के लिए भुगतान करते हैं। यहां पहले कुछ तस्वीरें और कॉमिक किताबें दिखाई जाती हैं। इन किताबों में बच्चों की कामुक तस्वीरें होती हैं।
इस मामले में जापान की वैश्विक स्तर पर आलोचना हो रही है। जापान में कैसे बच्चों से सेक्स को प्रोत्साहित किया जा रहा है इसे लेकर बीबीसी थ्री ने पड़ताल की है। महज तीन साल पहले जापान में बाल पोर्नोग्राफ़ी पर प्रतिबंध लगाया गया। हालांकि इससे भी बच्चों की सेक्स बिक्री पर रोक नहीं लगी।
बीबीसी थ्री की मशहूर डॉक्यूमेंट्री मेकर स्टैसी डूली ने इसे बेहतरीन तरीके से कवर किया है। जब वह तोक्यो गईं तो उन्हें कड़ी जांच का भी सामना करना पड़ा। आख़िर जापान में बच्चों को पॉर्न पर प्रतिबंध लगाने का असर क्या पड़ा? बीबीसी थ्री ने इस बात की पड़ताल की कि बच्चों की कामुकता को उकसाने की प्रवृत्ति में क्या बदलाव आया।
स्टैसी ने पाया कि जापान में यंग लड़कियों की कामुक तस्वीरों की संस्कृति फल-फूल रही है और इसका इस्तेमाल व्यावसायिक मुनाफे के लिए किया जा रहा है। इस दौरान स्टैसी का पहला ठिकाना तोक्यो का जेके कैफे बना। यहां हाई स्कूल की लड़कियों को बड़ी उम्र के पुरुषों के साथ वक़्त गुजारने के लिए पैसे दिए जाते हैं। उन पुरुषों ने बताया कि स्कूली लड़कियों से सेक्स के बारे में बात करना और उनका हाथ पकड़ना बिल्कुल सामान्य है। ये 15 साल की लड़कियां स्कूली यूनिफॉर्म में होती हैं।
स्टैसी ने जापान के उस इलाक़े को उजागर किया जो कामुकता के लिए जाना जाता है। जापान में इस इलाक़े को 'चाको इरो' कहा जाता है। यहां बच्चों की कामुक तस्वीरें फिल्माई जाती हैं। इन्हें फ़िल्माने वाले निर्माता से स्टैसी ने बात की कि आख़िर जापान की संस्कृति में बच्चों की कामुकता को प्रोत्साहित क्यों किया जा रहा है।
स्टैसी ने इस बात की भी तहकीकात की है कि क्या इन लड़कियों का शोषण रूका। स्टैसी ने एक चैरिटी के स्वयंसेवियों से मुलाक़ात की। यह चैरिटी पीड़ित लड़कियों को मदद करने की कोशिश कर रहा है।
स्टैसी ने पूछा कि वे कौन लोग होते हैं जो इन लड़कियों से मिलते हैं: ''उन बड़े उम्र के लोगों ने मुझे डरा दिया। मैं 30 साल की एक मजबूत महिला हूं। यदि वे उन लड़कियों से रिलेशशिप बनाते हैं...तो इनके लिए सब कुछ करना बहुत आसान होता है।''