चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने देश की सेना को 'ग्रेट वॉल ऑफ स्टील' में तब्दील करना चाहते हैं।' चीनी राष्ट्रपति के मुताबिक़ चीन अपनी संप्रभुता और दुनिया में विकास से जुड़े अपने हितों के लिए सेना को बेहद मजबूत बनाना चाहता है। चीन की ओर से हाल में सऊदी अरब और ईरान में समझौता कराने के बाद दिए गए राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस बयान को काफी अहम माना जा रहा है। इस समझौते को चीन की ओर से किया गया बड़ा राजनयिक उलटफेर माना जा रहा है।
पिछले सप्ताह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की नेशनल कांग्रेस ने शी के तीसरे कार्यकाल को मंजूरी दी थी। इसके बाद जिनपिंग ने पहली बार कोई सार्वजनिक बयान दिया है। शी ने चीनी सेना को मजबूत करने के अपने इरादे जताने के साथ ही लोगों से अपनी सरकार को समर्थन देने की अपील की
उनहत्तर साल के जिनपिंग ने चीन के संसद में कहा, ''मैं तीसरी बार इतने ऊंचे राष्ट्रपति दफ्तर का जिम्मा संभाल रहा हूं। मेरे लिए लोगों का विश्वास सबसे बड़ी प्रेरणा है। यही मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। लेकिन इससे मेरे कंधे पर एक बड़ी जिम्मेदारी भी आ जाती है।''
जिनपिंग ने संविधान में बताए गए कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी से निभाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि चीन के लोगों ने उन पर जो भरोसा जताया है उसे कभी डिगने नहीं देंगे।
जिनपिंग ने कहा, सुरक्षा ही विकास का आधार है, स्थिरता रहेगी तभी समृद्धि आएगी। उन्होंने चीनी सेना के आधुनिकीकरण के काम के आगे बढ़ाने की अपील करते हुए कहा इसे हमें 'ग्रेट वॉल ऑफ स्टील' बनाना है। ये ऐसी सेना होगी को जो अपने देश की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास से जुड़े हितों की पूरी मुस्तैदी से रक्षा करेगी।
चीन बड़ी भूमिका की तलाश में
जिनपिंग की ओर से चीनी सेना को 'ग्रेट वॉल ऑफ स्टील' बनाने वाले बयान से चीन की दीवार की चर्चा तेज हो गई है।
चीन के सम्राटों ने बाहरी आक्रमणकारियों से देश की सुरक्षा के लिए 20 हजार किलोमीटर से भी लंबी दीवार बनवाई थी। ये दीवार कई सदियों में बन कर तैयार हुई थी।
चीनी सेना को मजबूत करने से जुड़ा जिनपिंग का ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब अमेरिका और कुछ पड़ोसी देशों के साथ उसका तनाव बढ़ रहा है।
चीन में जिनपिंग पार्टी के सबसे प्रमुख नेता माने जाते हैं। ठीक उसी तरह जैसे एक जमाने में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्सेतुंग माने जाते थे।
पिछले सप्ताह चीन की संसद ने राष्ट्रपति के उनके तीसरे कार्यकाल को मंजूरी दे दी। साथ ही सेंट्रल मिलिट्री कमेटी के प्रमुख के तौर पर भी उनके नाम को मंजूर कर लिया गया।
सेंट्रल मिलिट्री कमेटी का प्रमुख चीन की सेना का सर्वोच्च कमांडर होता है। ये राष्ट्रपति और चीनी सेना के सर्वोच्च कमांडर के तौर पर पांच साल के उनके एक और कार्यकाल की शुरुआत है।
शी जिनपिंग को पिछले साल अक्टूबर में तीसरी बार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का प्रमुख चुना गया था। माओ के बाद जिनपिंग पहले ऐसे नेता है, जिन्हें पांच साल के दो कार्यकाल से अधिक दिया गया है। उनके पहले के सभी राष्ट्रपतियों को पांच साल के दो कार्यकाल ही मिले थे।
ईरान-सऊदी अरब समझौते का बाद यूक्रेन युद्ध बंद कराने का इरादा?
चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस यानी संसद सत्र के समापन के दौरान जिनपिंग के भाषण के समय 3000 सांसद मौजूद थे। जिनपिंग ने इस भाषण में कहा कि चीन ग्लोबल गवर्नेंस सिस्टम में सुधार और विकास में सक्रिय भूमिका निभाएगा।
उन्होंने कहा कि चीन ग्लोबल डेवलमपेंट इनिशिएटिव और ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव जैसी योजनाओं में भी सक्रिय भूमिका निभाएगा। इससे जाहिर होता है की चीन अब दुनिया में अपने लिए बड़े कूटनीतिक भूमिका की तलाश में है।
शी जिनपिंग का ये बयान में चीन की ओर से सऊदी-अरब और ईरान के बीच कराए गए समझौते के बाद आया है। इसे चीन की एक बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि दोनों देशों के बीच सात पहले राजयनिक संबंध टूट गए थे।
इस बीच, ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि जिनपिंग अगले सप्ताह रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से मिलने जा रहे हैं।
कहा जा रहा है कि वो यूक्रेन-रूस युद्ध खत्म कराने के लिए पुतिन से बात करेंगे। वो रूस-यूक्रेन समझौते की शर्त पर भी बातचीत कर सकते हैं।
चीन ने सऊदी अरब और ईरान के बीच जो समझौता कराया है, उसके तहत दोनों देश एक दूसरे के साथ राजनयिक संबंध कायम करने पर राजी हो गए हैं। दोनों ने कहा है कि वह दो महीने के अंदर एक दूसरे के यहां अपने दूतावास खोलेंगे।
बीजिंग में 6 से 10 मार्च के के बीच दोनों पक्षों में बातचीत के बाद समझौते का ऐलान किया गया। इसे दुनिया में अपना प्रभाव बढ़ाने और अमेरिकी असर कम करने की कोशिश में लगे चीन की बड़ी सफलता माना जा रही है।
खास कर मध्य पूर्व के देशों में चीन का प्रभाव के लिहाज से ये बड़ी सफलता मानी जा रही है।
पिछले सप्ताह शी जिनपिंग ने अप्रत्याशित रूप से अमेरिका पर आरोप लगाया था कि वह पश्चिमी देशों को साथ लेकर चीन को रोकने और दबाने की कोशिश कर रहा है। इन देशों ने चीन के लिए अभूतपूर्व चुनौती पैदा कर दी है।
अमेरिका,ताइवान और दूसरे पड़ोसियों को रोकने की कोशिश
दरअसल चीन की संसद के इस सत्र का प्रमुख एजेंडा अमेरिका पर निर्भरता खत्म करने की रणनीति सुझाना था।
इस रणनीति के मुताबिक चीन की केंद्रीय सरकार ने 2023 में शोध और विकास कार्यों के लिए लिए दो फीसदी अधिक बजट खर्च करने का फैसला किया है। अब इस पर 328 अरब युआन यानी 47 अरब डॉलर खर्च किए जाएं।
पिछल 5 मार्च को चीन ने अपने रक्षा बजट में 7।2 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी। लगातार आठवें साल चीन ने अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी की है। अब चीन का रक्षा बजट बढ़ कर 225 अरब डॉलर हो गया है।
ताइवान को लेकर भी चीन काफी आक्रामक है। चीन उसे अपना हिस्सा मानता है। उसका कहना है कि वह ताइवान से शांतिपूर्ण और बेहतर संबंध को बढ़ावा दे रहा है।
चीन ताइवान में किसी बाहरी हस्तक्षेप का विरोध करता है। वह ताइवानी आजादी के मुद्दे को अलगावादी गतिविधि मानता हैं। चीन ने ताइवान को मिलाने की दिशा में कोशिश तेज की है।
उसने हॉन्गकॉन्ग में एक देश दो सिस्टम को आगे भी जारी रखने का वादा किया है। हॉन्गकॉन्ग में आजादी समर्थक ताकतों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई के बाद उसने नरमी के संकेत नहीं दिए हैं।
चीन ने कहा है कि वह अपने विकास में न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय बाजार और संसाधनों की मदद लेगा बल्कि वह पूरी दुनिया के विकास में इनका इस्तेमाल करेगा।
शी जिनपिंग ने चीन को एक आधुनिक समाजवादी देश के तौर पर विकसित करने में मदद की अपील। उन्होंने कहा कि सरकार चीन के राष्ट्रीय पुनर्जागरण के काम को आगे बढ़ाएगी।
उन्होंने कहा कि अब से लेकर 21 वीं सदी के मध्य तक पूरी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीन के लोग इसे एक महान आधुनिक समाजवादी देश बनाने में लग जाएंगे।