Kerala's Hadiya case : 7 साल पहले कथित लव जिहाद केस से चर्चित हुई केरल की युवती हादिया के पिता की हैबियस कॉर्पस याचिका पर केरल हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने राज्य पुलिस को ये निर्देश दिया है कि वो हादिया को दो दिनों के भीतर उनके समक्ष पेश करे। खंडपीठ ने हादिया के पिता केएन असोकन की हैबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को ये आदेश जारी किया। जस्टिस अनु शिवरामन और जस्टिस जॉनसन जॉन ने सरकारी वकील को ये बात पुलिस तक पहुंचाने का निर्देश दिया है।
हादिया केस एक बार फिर चर्चा में है। इतने वर्षों के बाद हादिया का नाम एक बार अदालत के सामने आया क्योंकि उनके पिता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर उन्हें हाज़िर करने की मांग की है ताकि वो उनसे मिल सकें।
हादिया का नाम 2017 में उस समय सुर्खियों में आया था, जब केरल हाई कोर्ट ने शफीन जहान से की गई उनकी शादी रद्द कर दी थी। हादिया का नाम अखिला असोकन था और वो हिन्दू थीं। लेकिन उन्होंने इस्लाम अपना कर शफीन जहान से शादी कर ली थी।
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी शादी को मान्यता दे दी थी। दरअसल, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए ने इस मामले की जांच के दौरान पाया कि हादिया के पति ने उनका धर्म बदलने के लिए ज़ोर-जबरदस्ती नहीं की थी। इसके साथ ही ये भी पता चला कि हादिया के पति का किसी प्रतिबंधित संगठन से कोई संबंध नहीं हैं।
हादिया का बयान और उनके पिता के आरोप
लेकिन हादिया की दिक्क़तें तब एक बार फिर शुरू हुईं जब कुछ दिनों पहले उन्होंने शफीन को तलाक़ देकर एक दूसरे युवक से शादी कर ली।
हादिया ने ये कह कर इस युवक का नाम बताने से इनकार किया है कि ये उनका निजी मामला है।
उनके पिता के.एम. असोकन ने बीबीसी हिन्दी से कहा, 'हादिया हमें मिल नहीं रही हैं। मैं उनकी तलाश में गया लेकिन वो नहीं मिलीं। लिहाजा मैंने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है।'
असोकन ने कहा, 'मुझे बताया कि उसने दोबारा शादी की है। मैं तो उसके नए पति का नाम भी नहीं जानता। उसने पहले पति को तलाक़ दे दिया था। उसने शादी क्यों तोड़ी पता नहीं। वह पहले ख़ुद को शादीशुदा दिखाएंगी और फिर दिखाएंगी कि अब किसी और से शादी कर ली है। पता नहीं वो क्या करेंगे?'
असोकन ने कहा, 'हादिया के पास दिमाग़ नहीं है। इसलिए वो इस तरह भटक रही है। अगर मैं कुछ नहीं करूं तो वो कहीं चली जाएगी। कौन जानता है वो कहीं असंतुलित हो जाएगी। आप समझ रहे हैं, मैं क्या कह रहा हूं।'
तीन जजों की सुप्रीम कोर्ट की बेंच के फ़ैसले के बाद हादिया की शादी का मामला सुलझ गया था।
बीबीसी हिन्दी ने हादिया की शादी से जुड़े इस इस फ़ैसले का हवाला देकर पूछा, 'क्या आपके माता-पिता ने उस समय आपको आशीर्वाद दिया था।'
इस पर उन्होंने कहा, 'मेरे माता-पिता ने कभी भी मेरी भावनाओं की परवाह नहीं की और न ही मेरी ख़ुशी का ख्याल रखा।'
हादिया ने कहा, 'जब मेरी पहली शादी टूट गई तो मेरे मां-बाप ने कहा था कि मैं वापस लौट आऊं। लेकिन मैं ये नहीं कर सकती थी। मैं इस्लाम में विश्वास करती हूं और मेरा इसे छोड़ने का कोई इरादा नहीं है।'
मुझ पर दोबारा हिन्दू बनने का दबाव - हादिया
बीबीसी हिन्दी ने हादिया से पूछा कि पिछले सप्ताह जब उनके पिता ने उन्हें फोन किया तो उन्होंने बात क्यों नहीं की?
इस पर हादिया ने कहा, 'मेरे अपने पिता के साथ अच्छे संबंध थे। लेकिन एक गंदा काम उन्होंने ये किया कि मीडिया को इंटरव्यू देकर मेरी निजी जिंदगी को उन्होंने सार्वजनिक मामला बना दिया। उन्हें मेरी दूसरी शादी के बारे में पता था। उन्होंने कहा कि ये सब साफ़ तौर पर उन्होंने बाहरी दबाव में किया।'
हादिया ने कहा, 'मेरे पिता कभी इतने नफरती नहीं थे। मैं जानती हूं कि वो किसी के प्रभाव में काम कर रहे हैं। जब मैं इस्लाम अपनाने के बाद नज़रबंद थी तो मुझे पता था कि कुछ लोग हमारे घर आते थे। वे चाहते थे कि मैं दोबारा हिन्दू बन जाऊं।'
'लव जिहाद' केस
हादिया ने नज़रबंदी शब्द का इस्तेमाल एक ख़ास संदर्भ में किया था। दरअसल, केरल हाई कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने कहा था कि हादिया को उनके माता-पिता अपने घर ले जाएं।
उनके पिता ने हाई कोर्ट में 2016 में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी।
उस समय हादिया ने अपने पिता के फोन कॉल का जवाब देना बंद कर दिया था। उन्हें पता चला था कि हादिया को जबरदस्ती मुस्लिम बनाया गया।
उस समय हादिया कोयंबटूर के एक निजी कॉलेज में होम्योपैथी की पढ़ाई कर रही थीं।
लेकिन हादिया ने अदालत को बताया था कि वो अपने घर में रहने वाले दो मुस्लिमों की नमाज़ और उनकी धर्म परायणता से काफ़ी प्रभावित थीं।
तब अदालत ने कहा था कि वो जैसा चाहती हैं, वैसा करने के लिए स्वतंत्र हैं क्योंकि उन्हें ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से बंधक नहीं बनाया गया था जैसा कि उनके पिता ने दावा किया था।
असोकन ने उस समय बीबीसी से कहा था कि उनकी बेटी के घर में रहने वालों और परिचितों ने उनका 'ब्रेनवॉश' किया गया है।
पिता ने कहा था, 'वे उसे सीरिया भेजना चाहते थे। उसने मुझे फोन पर ये बात बताई थी तब मुझे इसका पता चला। मैंने ये बातचीत रिकॉर्ड कर ली थी और फिर मैंने केस कर दिया था।'
असोकन ने 2017 में ये दावा करते हुए हाई कोर्ट में फिर अपील की थी कि उन्हें लगता है कि हादिया भारत से बाहर जा रही है।
दूसरे केस की सुनवाई के दौरान हादिया ने शफीन जहान से शादी कर ली थी। जहान से उनकी मुलाकात मैट्रोमोनियल वेबसाइट पर हुई थी। उसी समय दो सदस्यीय बेंच ने उनकी शादी कर दी थी। कोर्ट ने इस पर सवाल किया था कि क्या हादिया ने वास्तव में अपनी मर्जी से धर्म बदला है।
तब हाई कोर्ट ने हादिया को उनके माता-पिता को सौंप दिया और उन्हें उनके घर से कहीं भी बाहर नहीं जाने दिया गया। उन्हें एक कमरे में रहने को मजबूर किया गया।
अब हादिया क्या चाहती हैं?
हाई कोर्ट ने अपने दूसरे फैसले में हादिया के इस्लाम अपनाने पर सवाल किया। कोर्ट ने कहा था कि 'रेडिकल संगठन' प्यार की आड़ में हिन्दू धर्म की युवतियों का धर्मांतरण कर रहे हैं। कोर्ट की उस समय की भाषा ठीक 'लव जिहाद' की चलताऊ परिभाषा से मिलती-जुलती थी।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने केरल हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के इस आदेश को रद्द कर दिया और हादिया और शफीन जहान की शादी को अनुमति दे दी।
असोकन ने कुछ दिन पहले हादिया और उसकी दोबारा शादी पर बयान दिए थे। इसके बाद मलयालम चैनल मीडिया वन को दिए इंटरव्यू में हादिया ने कहा, 'मैंने दोबारा शादी की है। मुझे नहीं लगता कि ये चर्चा का विषय होना चाहिए। कानून के मुताबिक़ हर किसी को शादी करने,अलग होने और दोबारा शादी करने का अधिकार है। मुझे समझ नहीं आता कि जब मैं ऐसा करती हूं तो लोग क्यों चिढ़ते हैं। मैं अपने मां-बाप से यही सवाल कर रही हूं। ये मेरा अधिकार है। मैं कोई छोटी बच्ची नहीं हूं। मैं बालिग हूं।'
हादिया (31 साल) ने बीबीसी हिन्दी से कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने मुझे आजादी से रहने की स्वतंत्रता दी है। मैं इस बात को लेकर निश्चित हूं कि हाई कोर्ट बंदी प्रत्यक्षीकरण के पीछे जो भी है उसे ऐसी सजा देगा, जिसकी मिसाल दी जा सकेगी।'
हादिया ने तिरुवनंतपुरम् में अपना क्लीनिक खोलने की योजना बनाई है। शादी के बाद वो यहीं रहना चाहती हैं। साथ ही वो होम्योपैथी में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स भी करना चाहती हैं।