राज्यश्री के मुताबिक निजामुद्दीन का दावा है कि वो खुद उस तथाकथित दुर्घटना के बाद नेताजी को बर्मा (अब म्यांमार) सीमा के पास सितांगपर नदी के किनारे छोड़कर आए थे। निजामुद्दीन को ये भी याद है कि जिस दुर्घटना की बात की जा रही है उसके तीन या चार महीने बाद उन्होंने नेताजी को छोड़ा था।